जरुरी जानकारी | आयात शुल्क घटाये जाने की अफवाह से विदेशी बाजारों में तेजी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में तेल तिलहन कीमतों में तेजी का रुख कायम होने से स्थानीय तेल तिलहन बाजार में बुधवार को सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज (तिलहन फसलें) की कीमतों में सुधार दर्ज हुआ जबकि सरसों, बिनौला सहित अन्य तेल तिलहनों की कीमतें हानि दर्शाती बंद हुई।

नयी दिल्ली, 13 जनवरी विदेशी बाजारों में तेल तिलहन कीमतों में तेजी का रुख कायम होने से स्थानीय तेल तिलहन बाजार में बुधवार को सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज (तिलहन फसलें) की कीमतों में सुधार दर्ज हुआ जबकि सरसों, बिनौला सहित अन्य तेल तिलहनों की कीमतें हानि दर्शाती बंद हुई।

खाद्यतेल उद्योग के सूत्रों के अनुसार भारत में तेलों पर आयात शुल्क घटाए जाने की अफवाह से वैश्विक बजार तेज हो गया था। सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी आने के बावजूद स्थानीय बाजार में मांग कमजोर होने से सोयाबीन तथा पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। उन्होंने कहा कि ऐसी अफवाहें फैलाकर विदेशी तेल कंपनियों को फायदा पहुंचाया जाता है।

बाजार सूत्रों का कहना है कि देशी तेल पहले ही आयातित तेलों के मुकाबले सस्ते हो गये हैं और इस अफवाह के कारण विदेशी तेलों के दाम ऊंचे बने रहते हैं जिसका स्थानीय कारोबार पर भी असर होता है। इसकी वजह से देश के किसानों को असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि तेल उद्योग के कुछ प्रमुख तेल संगठनों ने सरकार को आयात शुल्क में कमी किये जाने की सलाह दी है जिसकी असली मंशा को समझना एक पहेली है। हाल ही में देश में खाद्यतेल की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने सीपीओ के आयात शुल्क में 90 डॉलर प्रति टन की कमी की थी जिसका नतीजा यह हुआ कि शुल्क कमी किये गये तेलों के दाम विदेशों में बढ़ा दिये गये और तेल सस्ता होने के बजाय और महंगा हो गया। उधर देश के पांच हजार करोड़ रुपये राजस्व की हानि हुई, सो अलग।

उन्होंने कहा कि सरकार को आयात शुल्क में कमी करने के बजाय देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये। अगले महीने सूरजमुखी की बिजाई शुरू होगी। ऐसे में किसानों को ज्यादा तिलहन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने की नीति अपनायी जानी चाहिए ताकि आयात पर निर्भरता अधिकाधिक सीमित हो सके।

उन्होंने कहा कि ऊंचे दाम पर मांग कमजोर होने से सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तेल, बिनौला तेल कीमतों में गिरावट आई। ऊंचे भाव पर सीपीओ की मांग पहले से नहीं है लेकिन अफवाह की वजह से इनकी कीमतें विदेशों में तेज बनी रहीं ।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 6,325 - 6,375 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 5,560- 5,625 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,950 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,200 - 2,260 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,920 -2,070 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,050 - 2,165 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 11,100 - 15,100 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,700 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,380 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,500 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,880 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,900 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 11,400 रुपये।

पामोलिन कांडला 10,550 (बिना जीएसटी के)

सोयाबीन तिलहन मिल डिलीवरी 4,675- 4,725 रुपये, लूज में 4,575- 4,610 रुपये

मक्का खल (सरिस्का) 3,525 रुपये

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\