देश की खबरें | सरकार के साथ बातचीत को तैयार, लेकिन पहले कृषि कानूनों को निरस्त करने पर बात होगी :किसान नेता
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर किसान नेताओं ने रविवार को अपनी मांगें दोहराते हुए कहा कि वे सरकार से वार्ता को तैयार हैं लेकिन पहले तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने पर बातचीत होगी। किसानों ने कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को और तेज करने का भी ऐलान किया।

सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू करेंगे।

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उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से भी किसान यहां आ रहे हैं और वे आने वाले दिनों में आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाएंगे।

पन्नू ने कहा, ‘‘अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम तैयार हैं, लेकिन हमारी मुख्य मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की रहेगी। हम उसके बाद ही अपनी अन्य मांगों पर आगे बढ़ेंगे।’’

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उन्होंने बताया कि किसान संगठनों के नेता नये कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिसंबर को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे।

पन्नू ने आरोप लगाया कि सरकार ने आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने प्रदर्शन शांतिपूर्ण रखने का संकल्प लिया।

सरकार ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह किया था कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने दें क्योंकि कुछ ‘असामाजिक’ और ‘वामपंथी तथा माओवादी’ तत्व आंदोलन के माहौल को बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं।

टीकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को छोड़ने की मांग वाले पोस्टर लिये हुए तस्वीरें सामने आने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि ये ‘असामाजिक तत्व’ किसानों के भेष में शांतिपूर्ण आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं।

सितंबर में बनाए गए तीन कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के रूप में पेश किया है। सरकार का कहना है कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे और किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

हालांकि, प्रदर्शन कर रहे किसानों को आशंका है कि नये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिससे वे कॉरपोरेट की दया पर निर्भर रह जाएंगे।

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