जरुरी जानकारी | आरबीआई ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा, वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर सात प्रतिशत किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को उम्मीद के अनुरूप लगातार पांचवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
मुंबई, आठ दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को उम्मीद के अनुरूप लगातार पांचवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
साथ ही अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चित परिदृश्य के बीच चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया।’’
वहीं छह सदस्यों में से पांच ने उदार रुख को वापस लेने के अपने रुख पर कायम रहने का समर्थन किया है। इसका मतलब है कि नीतिगत दर कुछ समय तक ऊंची बनी रह सकती है।
दास ने कहा, ‘‘वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और हमारी बुनियाद सृदृढ़ है।’’
वृद्धि का जिक्र करते हुए दास ने कहा, ‘‘वृद्धि दर मजबूत बनी हुई है। जीएसटी संग्रह, पीएमआई (परजेचिंग मैनेजर इंडेक्स), आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े मजबूत बने हुए हैं। इन सबको देखते हुए चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’
उल्लेखनीय है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने के बाद केंद्रीय बैंक ने अपने अनुमान में संशोधन किया है। इस वृद्धि के साथ भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था में सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला देश बना हुआ है।
आरबीआई ने पहले वृद्धि दर 2023-24 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
महंगाई के बारे में उन्होंने कहा कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति में व्यापक स्तर पर नरमी है। हालांकि, निकट भविष्य में खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर जोखिम है। इससे नवंबर और दिसंबर में मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसपर नजर रखने की जरूरत है। सभी पहलुओं पर गौर करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।’’
आने वाले समय में मुद्रास्फीति की स्थिति पर खाद्य वस्तुओं के अनिश्चित दाम का असर पड़ सकता है। चीनी के दाम में तेजी चिंता का विषय है।
इससे पहले, मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
खुदरा महंगाई अक्टूबर में घटकर 4.87 प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि, यह मध्यम अवधि के चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।
दास ने यह भी कहा कि नीतिगत स्तर पर ‘जरूरत से ज्यादा कड़े रुख’ से अर्थव्यवस्था की वृद्धि के समक्ष जोखिम है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह कोई तटस्थ रुख की ओर जाने का संकेत नहीं है।
आरबीआई गवर्नर के अनुसार, मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से ऊपर है। ऐसे में मौद्रिक नीति निश्चित रूप से इसमें कमी लाने पर केंद्रित होना चाहिए ताकि महंगाई को लेकर जो प्रत्याशाएं हैं, उसे काबू में रखा जा सके।
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री तथा शोध मामलों के प्रमुख सुमन चौधरी ने कहा, ‘‘नीतिगत बयान में स्पष्ट रूप से आक्रामक रुख है, वह कम हुआ है तथा एक संतुलन लाया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गवर्नर के बयान में कहा गया है कि ओएमओ (खुले बाजार की प्रक्रिया यानी बॉन्ड की खरीद-बिक्री) का जरूरत पड़ने पर उपयोग किया जाएगा और वर्तमान में नकदी पहले से ही अपेक्षाकृत तंग स्थिति में है। इससे कुल मिलाकर नकदी को लेकर बाजार की चिंताओं को दूर किया गया है।’’
केंद्रीय बैंक की अन्य घोषणाओं में अस्पतालों में इलाज और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए लोकप्रिय भुगतान मंच यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिये भुगतान की सीमा एक बार में एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करना शामिल है।
इसके अलावा, व्यापारियों को वस्तुओं और सेवाओं के एवज में ग्राहकों की अनुमति से उनके खाते से निश्चित अवधि पर (आवर्ती भुगतान) स्वत: पैसा काटने की सीमा कुछ मामलों में मौजूदा 15,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की अनुमति दी गई है। यह सीमा म्यूचुअल फंड, बीमा प्रीमियम जैसी कुछ श्रेणियों के लिए बढ़ायी गयी है।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक अगले साल 6-8 फरवरी को होगी।
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