ताजा खबरें | रास: छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं पर चिंता, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए वेतन-भत्ते पेंशन की मांग

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में मंगलवार को शून्य काल के दौरान सदस्यों ने शैक्षणिक व कोचिंग संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या से जुड़ी घटनाओं में हो रही वृद्धि और बड़ी संख्या में महिलाओं के लापता होने पर चिंता जताई वहीं ग्राम प्रधान व महापौर जैसे ‘छोटे जनप्रतिनिधियों’ को वेतन-भत्ते व पेंशन का लाभ देने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन करने और मनरेगा कानून के तहत राज्यों के लिए कोष जारी करने की मांग भी उठाई।

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर राज्यसभा में मंगलवार को शून्य काल के दौरान सदस्यों ने शैक्षणिक व कोचिंग संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या से जुड़ी घटनाओं में हो रही वृद्धि और बड़ी संख्या में महिलाओं के लापता होने पर चिंता जताई वहीं ग्राम प्रधान व महापौर जैसे ‘छोटे जनप्रतिनिधियों’ को वेतन-भत्ते व पेंशन का लाभ देने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन करने और मनरेगा कानून के तहत राज्यों के लिए कोष जारी करने की मांग भी उठाई।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने शून्यकाल में राजस्थान के कोटा स्थित कोचिंग संस्थानों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्रों द्वारा की जा आत्महत्या के बढ़ते मामलों की ओर उच्च सदन का ध्यान आकृष्ट कराया।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले एक साल में सिर्फ कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के 26 मामले सामने आए हैं। इंजीनियरिंग संस्थानों में बड़ी संख्या में छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले आ रहे हैं। यह चिंता का विषय है।’’

उन्होंने केंद्र व राज्य सरकारों से छात्रों में आत्म हत्या के कारणों का पता लगाने के लिए एक आयोग गठित किए जाने की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘‘छात्र आत्महत्या को क्यों बाध्य हो रहे हैं? क्या उन पर उत्तीर्ण होने का भारी दबाव होता है?’’

सुशील मोदी ने शिक्षण व कोचिंग संस्थानों में विशेषज्ञ और परामर्शदाताओं को भी बहाल करने की मांग की।

भाजपा के ही राधामोहन दास अग्रवाल ने समान काम के बदले समान वेतन का मुद्दा उठाते हुए जमीनी स्तर पर काम करने वाले ग्राम पंचायत के प्रधान व मेयर के लिए भी वेतन-भत्ते और पेंशन की सुविधा दिए जाने के वास्ते आवश्यक संविधान संशोधन की मांग उठाई।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केंद्र के मंत्री, सांसद, राज्य सरकारों के मंत्री व विधायक को वेतन-भत्ते के साथ पेंशन की भी व्यवस्था है लेकिन दुखद है कि ग्राम प्रधान और मेयर जैसे जमीनी जन प्रतिनिधियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘योजनाओं को धरातल पर लागू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे प्रत्यक्ष रूप से जनता के बीच रहते हैं और उनके लिए काम करते हैं। उन्हें भी वेतन-भत्ते के साथ पेंशन का अधिकार है लेकिन उनके साथ सौतेला व दोहरा आचरण अपनाया जा रहा है।’’

उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किन कारणों से उनके लिए यह व्यवस्था नहीं है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘यह दोहरा आचरण समाप्त होना चाहिए। संविधान के 73वें व 74वें अनुच्छेद में संशोधन कर इन जनप्रतिनिधियों के लिए वेतन-भत्ते और पेंशन की व्यवस्था की जाए।’’

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य समीरूल इस्लाम ने पश्चिम बंगाल के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून के तहत आवंटित केंद्रीय धन पिछले दो साल से रोके जाने का दावा करते हुए केंद्र सरकार से मांग की कि इसे तत्काल जारी किया जाए।

उन्होंने कहा कि यह कोई योजना नहीं बल्कि कानून है और पश्चिम बंगाल में गत 20 सालों से ग्रामीण मजदूरों के लिए ‘जीवनरेखा’ बना हुआ है।

समाजवादी पार्टी के सदस्य रामगोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश की अहेरिया जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग उठाई।

उन्होंने कहा कि इस समाज के लोग अनूसचित जाति में शामिल किए जाने की सभी आवश्यक अहर्तएं व पात्रता रखते हैं लेकिन लंबे समय से उन्हें इससे वंचित रखा गया है।

उन्होंने केंद्र सरकार से इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटास ने देश में अमीरों और गरीबों की आय के बढ़ते अंतर पर चिंता जताई और एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में सबसे अधिक अमीर एक प्रतिशत आबादी के पास अब देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, जबकि नीचे की आधी आबादी के पास केवल कुल धन का तीन प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरा में जहां देश के लोगों की नौकरियां गई, उनकी आय में कमी आई वहीं इस दौरान अमीरों की आय में 84 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई।

भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपयी ने मध्यम व लघु उद्यम क्षेत्र में बड़े औद्योगिक घरानों के प्रवेश पर चिंता जताई और कहा कि इससे छोटे व्यापरियों को परेशानी का सामना कर पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि छोट-छोटे शहरों के सर्राफा व्यापार में यदि तनिष्क जैसी बड़ी कंपनियां आ जाएंगी और टाटा जैसे समूह कपड़ों के स्थानीय बाजार में उतर जाएंगे तो छोटे व्यवापारी कहां जाएंगे।

भाजपा के ही सदस्य अजय प्रताप सिंह ने मोटे अनाज को जन वितरण प्रणाली में शामिल किए जाने की मांग उठाते हुए कहा कि इससे ना सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा होगी बल्कि किसान भी इसकी खेती करने को प्रोत्साहित होंगे और अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकेंगे।

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