ताजा खबरें | रामनवमी उत्सव : लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के लिए नयी राजनीतिक रणभूमि

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद 17 अप्रैल को रामनवमी का अवसर पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के लिए एक नयी राजनीतिक रणभूमि के रूप में उभर रहा है।

कोलकाता, 15 अप्रैल उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद 17 अप्रैल को रामनवमी का अवसर पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के लिए एक नयी राजनीतिक रणभूमि के रूप में उभर रहा है।

भाजपा जहां लोकसभा चुनाव से पहले ‘‘हिंदू एकता’’ प्रदर्शित करने के लिए राज्य भर में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित कर रही है, वहीं मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममना बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भाजपा राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहती है।

बंगाल में पहले चरण के तहत 19 अप्रैल और दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को मतदान होगा।

पिछले कुछ वर्षों में भाजपा-आरएसएस द्वारा पश्चिम बंगाल में गहरी पैठ बनाने के बीच रामनवमी उत्सव पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा है, जो पहले राज्य के सीमित हिस्सों में मनाया जाता था।

इस साल की शुरुआत में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने 9-23 अप्रैल तक व्यापक स्तर पर राम महोत्सव कार्यक्रम की योजना बनाई है, जिसका समापन हनुमान जयंती पर होगा।

हाल के वर्षों में राज्य में रामनवमी पर निकाले जाने वाली शोभायात्राओं के दौरान सांप्रदायिक दंगे हुए, जो एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा ने एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।

जैसा कि भाजपा का लक्ष्य चुनाव से पहले हिंदुओं को एकजुट करना है, तृणमूल कांग्रेस भी उसके इस इरादे की काट ढूंढ रही है क्योंकि राज्य सरकार ने पहली बार रामनवमी पर छुट्टी की घोषणा की है और पार्टी इस दिन पूरे राज्य में रैलियां आयोजित करने की योजना बना रही है।

विहिप के राष्ट्रीय सहायक सचिव सचिन्द्रनाथ सिंह ने कहा, ‘‘इस वर्ष हम राम महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। 17 अप्रैल को रामनवमी के दिन, हम राज्य के सभी ग्राम पंचायतों और नगर निगम वार्ड में कार्यक्रम या रैलियां आयोजित करेंगे। हमने राज्य भर में 5,000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है।’’

सिंह ने स्पष्ट किया कि पारंपरिक अखाड़ों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को छोड़कर रैलियों और कार्यक्रमों में हथियार ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, अखाड़ों में शस्त्र ले जाना एक पारंपरिक अनुष्ठान है।

रैलियों में भाजपा की भागीदारी के बारे में एक प्रश्न पर सिंह ने कहा, ‘‘कोई भी अपनी व्यक्तिगत क्षमता में रामनवमी रैलियों में भाग ले सकता है।’’

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पार्टी की भागीदारी की पुष्टि करते हुए कहा, ‘‘हर साल हम रामनवमी कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इस साल भी कोई बदलाव नहीं होगा। पार्टी कार्यकर्ता और नेता भगवान राम के भक्त के रूप में कार्यक्रमों में भाग लेंगे।’’

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में 18 सीटें हासिल कीं जबकि टीएमसी ने 22 और कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं।

तृणमूल कांग्रेस ने रामनवमी की शोभायात्रायों के दौरान दंगों का आरोप भाजपा पर मढ़ा जबकि भाजपा ने इस दावे को खारिज कर दिया है।

ममता बनर्जी ने अपनी विभिन्न रैलियों में भाजपा पर रामनवमी के दौरान दंगे भड़काने का आरोप लगाया है।

टीएमसी प्रवक्ता शांतनु सेन ने कहा, ‘‘हम राजनीति को धर्म के साथ मिलाने में विश्वास नहीं रखते। राज्य की जनता भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को खारिज करेगी।’’

वरिष्ठ माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने चेताया कि इस तरह के जश्न से ‘‘राज्य में सांप्रदायिकता ही बढ़ेगी, जो टीएमसी और भाजपा दोनों चाहते हैं।’’

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