देश की खबरें | प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को सोनमर्ग सुरंग का उद्घाटन करेंगे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 जनवरी को जम्मू कश्मीर में सोनमर्ग सुरंग का उद्घाटन करेंगे।

नयी दिल्ली, 11 जनवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 जनवरी को जम्मू कश्मीर में सोनमर्ग सुरंग का उद्घाटन करेंगे।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 12 किलोमीटर लंबी सुरंग सहित पूरी परियोजना पर 2,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है।

इसमें सोनमर्ग मुख्य सुरंग, एक निकास सुरंग और संपर्क सड़कें शामिल हैं।

बयान में कहा गया है कि समुद्र तल से 8,650 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग लेह जाने के लिए श्रीनगर और सोनमर्ग के बीच सभी मौसम में यातायात को सुगम करेगा।

मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान को दोहराया। इससे पहले, अब्दुल्ला ने उनकी यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए वहां का दौरा किया और कुछ तस्वीरें और वीडियो साझा किए।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘जेड-मोड़ सुरंग के उद्घाटन से सोनमर्ग पूरे साल पर्यटकों के लिए खुला रहेगा, सोनमर्ग अब एक बेहतरीन स्की रिसॉर्ट के रूप में विकसित होगा। स्थानीय लोगों को सर्दियों में बाहर नहीं जाना पड़ेगा और श्रीनगर से कारगिल/लेह की यात्रा का समय भी कम हो जाएगा।’’

मोदी ने जवाब दिया, ‘‘मैं सुरंग के उद्घाटन के लिए जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग की अपनी यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। आपने पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए इसके लाभों की सही बात कही है। साथ ही, हवाई तस्वीरें और वीडियो भी बहुत पसंद आए!’’

बयान में कहा गया है कि यह परियोजना सोनमर्ग को पूरे साल के गंतव्य में बदलकर पर्यटन को बढ़ावा देगी, जिससे शीतकालीन पर्यटन, साहसिक खेल और स्थानीय आजीविका को बढ़ावा मिलेगा।

वर्ष 2028 तक पूरा होने के लिए निर्धारित जोजिला सुरंग के साथ, यह मार्ग की लंबाई को 49 किमी से घटाकर 43 किमी कर देगा और वाहनों की गति को 30 किमी/घंटा से बढ़ाकर 70 किमी/घंटा कर देगा, जिससे श्रीनगर घाटी और लद्दाख के बीच निर्बाध एनएच-1 कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।

बयान में कहा गया है कि इस बढ़ी हुई कनेक्टिविटी से रक्षा आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में आर्थिक विकास और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री उन निर्माण श्रमिकों से भी मिलेंगे जिन्होंने इस इंजीनियरिंग उपलब्धि में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए कठोर परिस्थितियों के बीच सावधानीपूर्वक काम किया है।

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