देश की खबरें | आपात स्थिति में लोग अस्पताल जाते हैं, बेड के लिए प्रतीक्षा सूची का कोई मतलब नहीं : उच्च न्यायालय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर अस्पतालों में बेड के लिए प्रतीक्षा सूची बनाने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि लोग आपात स्थिति में ही अस्पताल जाते हैं और कोविड-19 महामारी के इन दिनों में कोई इंतजार नहीं करना चाहता।
नयी दिल्ली, सात मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर अस्पतालों में बेड के लिए प्रतीक्षा सूची बनाने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि लोग आपात स्थिति में ही अस्पताल जाते हैं और कोविड-19 महामारी के इन दिनों में कोई इंतजार नहीं करना चाहता।
उच्च न्यायालय ने यह भी सुझाव दिया कि कमजोर तबके के मरीजों को कोविड-19 के दौरान मदद के तौर पर पैरासिटामोल जैसी दवाओं के साथ स्टीमर्स और थर्मामीटर दिए जा सकते हैं।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने एक वकील की दलील को खारिज करते हुए कहा कि अस्पतालों में बेड के लिए प्रतीक्षा सूची बनाने का कोई मतलब नहीं है। वकील ने कहा कि सरकार की वेबसाइट पर बेड के बारे में प्रतीक्षा सूची को लगातार अद्यतन किए जाने की जरूरत है।
अदालत ने कहा, ‘‘अगर किसी को ऑक्सीजन बेड की जरूरत है तो यह आपात स्थिति होती है। आपात स्थिति के बिना कोई अस्पताल नहीं जाता...ऐसे नहीं चलेगा कि आप आज पंजीकरण कराएं और शाम में आपका नंबर आएगा। इस मुश्किल घड़ी में कोई इंतजार नहीं करना चाहता। ’’
वकील प्रवीण शर्मा ने कहा कि लोगों को बहुत जानकारी नहीं रहती इसलिए अगर वेबसाइट पर प्रतीक्षा सूची को अपलोड कर दिया जाए तो इससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
पीठ ने कोविड-19 संबंधी मामलों पर कई घंटों तक सुनवाई की।
केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार के साथ सहयोग के लिए सैन्य बलों द्वारा नोडल अधिकारी की तैनाती की जा रही है। इससे क्रायोजेनिक टैंकर लगाने जैसी सुविधाओं में मदद मिलेगी।
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