देश की खबरें | पदोन्नति के मामले में सीआईएसएफ इंस्पेक्टर की याचिका पर गृह व कार्मिक मंत्रालय पर जुर्माना

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पदोन्नति से वंचित 500 से अधिक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) निरीक्षकों की याचिका पर जवाब दाखिल करने में विफल रहने को लेकर केंद्रीय गृह और कार्मिक मंत्रालयों तथा अन्य पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने पदोन्नति से वंचित 500 से अधिक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) निरीक्षकों की याचिका पर जवाब दाखिल करने में विफल रहने को लेकर केंद्रीय गृह और कार्मिक मंत्रालयों तथा अन्य पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

इन निरीक्षकों को निर्धारित पांच वर्ष में पदोन्नति दिये जाने के प्रावधान के बावजूद 19 वर्षों तक इससे वंचित रखा गया है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने 21 दिसंबर को इस बाबत एक आदेश जारी किया था, जिसमें प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर लिखित दलील पेश करने का ‘अंतिम अवसर’ दिया था, लेकिन इसके लिए उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के समक्ष 10 हजार रुपये का जुर्माना जमा कराना था।

इस मामले के प्रतिवादियों में केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीआईएसएफ के महानिदेशक, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष और कार्मिक मंत्रालय शामिल हैं। गृह मंत्रालय के अधीन ही सीआईएसएफ कार्य करता है।

सीआईएसएफ के 540 से अधिक निरीक्षकों ने इस साल की शुरुआत में अदालत के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें उनके करियर के मार्ग में उन्हें बढ़ने से ‘वंचित’ रखने का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें 34 साल से अधिक की सेवा में केवल एक पदोन्नति (उप-निरीक्षक से निरीक्षक तक) मिली है और सहायक कमांडेंट (एसी) के अधिकारी रैंक पर उनकी अगली पदोन्नति के लिए "भविष्य की कोई संभावना’’ नजर नहीं आ रही है।

केंद्रीय बल में 1987 से 2005 के बीच भर्ती हुए निरीक्षकों की याचिका में अपनी शिकायत के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए आंकड़े भी उपलब्ध कराए गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यद्यपि अन्य केंद्रीय बलों (जैसे सीआरपीएफ और बीएसएफ) में उनके समकालीनों को सहायक कमांडेंट के अधिकारी रैंक और उससे भी आगे तक पदोन्नति मिली है, जबकि 30 से अधिक वर्षों तक सेवा करने के बावजूद वे निरीक्षक के उप-अधिकारी रैंक पर बने हुए हैं।

उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआईएसएफ के महानिदेशक ने भी एक संसदीय समिति को यह कहकर "गुमराह" किया कि निरीक्षकों को पांच साल बाद पदोन्नत किया जा रहा है।

अदालत तीन फरवरी को मामले की अगली सुनवाई करेगी।

सीआईएसएफ दिल्ली मेट्रो के अलावा देश के प्रमुख नागरिक हवाई अड्डों, ताजमहल और लाल किले जैसे ऐतिहासिक स्मारकों, दिल्ली में मंत्रालयों और एयरोस्पेस तथा परमाणु क्षेत्र से जुड़े कई संवेदनशील प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करता है।

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