देश की खबरें | सोमवार से शुरू होगा संसद सत्र

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नयी दिल्ली, 17 सितंबर संसद के पांच दिवसीय सत्र की शुरुआत सोमवार से होगी। नये सत्र के शुरू होने से पहले इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि क्या सरकार इस दौरान कुछ चौंकाने वाली चीजें पेश करेगी।

सत्र में संसद के 75 साल के सफर पर चर्चा और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समेत चार विधेयकों पर विचार किया जाना प्रस्तावित है।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने रविवार सुबह नये संसद भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस घटनाक्रम को सत्र के दौरान संसद के नये भवन में स्थानांतरित होने के पूर्व संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

सत्र से पहले सदन में विभिन्न दलों के नेताओं को प्रस्तावित कामकाज की जानकारी देने और उनसे विचार-विमर्श करने के लिए सरकार ने रविवार शाम सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है।

सोमवार से शुरू हो रहे सत्र को बुलाए जाने के असामान्य समय ने सभी को हैरत में डाला है। हालांकि, सत्र के लिए सूचीबद्ध एजेंडे का एक मुख्य विषय संविधान सभा से शुरू हुई संसद की 75 वर्ष की यात्रा पर विशेष चर्चा है।

सरकार ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के प्रावधानों वाले विधेयक को भी सत्र में चर्चा एवं पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किया है। यह विधेयक पिछले मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था।

सरकार को संसद में कुछ नये कानून या अन्य विषय पेश करने का विशेषाधिकार प्राप्त है, जो जरूरी नहीं है कि सूचीबद्ध एजेंडे का हिस्सा हो। किसी संभावित नये कानून पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसी निर्वाचित विधायिकाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक के बारे में चर्चा जोरों पर है।

सत्र को लेकर लगाए जा रहे कयास के बीच संसद को नये भवन में स्थानांतरित किए जाने की प्रबल संभावना है, जिसका उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। संसद के विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी नयी वर्दी में दिखाई पड़ सकते हैं।

भारत की अध्यक्षता में राष्ट्रीय राजधानी में जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन ने मोदी की लोकप्रियता को और बढ़ा दिया है और सत्र में चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष द्वारा इस तथ्य की तरफ प्रमुखता से ध्यान आकर्षित किया जा सकता है।

संसद के कर्मचारियों के एक वर्ग के लिए फूल की आकृति वाले नये ‘ड्रेस कोड’ ने पहले ही एक राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ पार्टी के चुनाव चिह्न 'कमल' के फूल को प्रचारित करने की एक ‘सस्ती’ रणनीति करार दिया है।

सत्र की घोषणा करते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे ‘‘विशेष सत्र’’ बताया था, लेकिन सरकार ने बाद में स्पष्ट कर दिया था कि यह एक नियमित सत्र यानी मौजूदा लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र है।

आमतौर पर हर साल संसद का बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र आयोजित किया जाता है। मानसून सत्र जुलाई-अगस्त में आयोजित किया गया था, जबकि शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में होने वाला है। बजट सत्र हर वर्ष जनवरी के अंत से शुरू होता है। दो सत्र के बीच छह महीने से ज्यादा का अंतर नहीं हो सकता।

फिलहाल, सरकार ने सत्र के पहले दिन संविधान सभा से लेकर संसद बनने की 75 साल की यात्रा पर विशेष चर्चा की योजना बनाई है।

सत्र के दौरान ‘‘संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 वर्ष की संसदीय यात्रा-उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’’ पर चर्चा के अलावा, लोकसभा के लिए अन्य सूचीबद्ध कार्यों में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023, प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 शामिल हैं, जो तीन अगस्त 2023 को राज्यसभा में पहले ही पारित हो चुका है।

एक आधिकारिक बुलेटिन के अनुसार, डाकघर विधेयक 2023 को भी लोकसभा की कार्यवाही में सूचीबद्ध किया गया है। यह विधेयक 10 अगस्त 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था। कार्य सूची अस्थाई है और इसमें अधिक विषय जोड़े जा सकते हैं।

जोशी ने 31 अगस्त को 18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के पांच दिन के ‘विशेष सत्र’ की घोषणा करते हुए इसके लिए कोई विशिष्ट एजेंडा नहीं बताया था। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था, ‘‘अमृत काल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है।’’

‘एक्स’ पर संसद के विशेष सत्र के एजेंडे को साझा करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था, ‘‘जो एजेंडा सामने आया है, उसमें कुछ भी नहीं है। इन सबके लिए नवंबर में शीतकालीन सत्र तक प्रतीक्षा की जा सकती है।’’

रमेश ने कहा था, ‘‘मुझे यकीन है कि विधायी हथगोले हमेशा की तरह आखिरी क्षण में फूटने के लिए तैयार हैं। परदे के पीछे कुछ और है।’’

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