नयी दिल्ली, 18 दिसंबर दिल्ली पुलिस ने संसद की सुरक्षा में चूक मामले में गिरफ्तार एक आरोपी द्वारा प्राथमिकी की एक प्रति देने के अनुरोध से संबंधित उसके आवेदन का सोमवार को अदालत में यह कहकर विरोध किया कि इस स्तर पर ‘‘महत्वपूर्ण जानकारी’’ के ‘‘लीक’’ होने से जांच प्रभावित हो सकती है।
दिल्ली पुलिस ने विशेष न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष यह दलील दी, जिन्होंने नीलम आजाद द्वारा दायर आवेदन पर आदेश 19 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया। मामले में गिरफ्तार एकमात्र महिला आरोपी ने दावा किया है कि उसे प्राथमिकी की प्रति उपलब्ध नहीं कराना उसके ‘‘संवैधानिक अधिकार’’ का उल्लंघन है, क्योंकि वह अपने खिलाफ लगे आरोपों से अनजान है।
पुलिस ने अदालत को बताया कि आतंकवाद सहित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की कड़ी धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी की प्रति संवेदनशील प्रकृति के होने कारण ‘‘सीलबंद लिफाफे’’ में है।
लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह ने अदालत को बताया, ‘‘जांच जारी है और आरोपी पुलिस रिमांड में है। कुछ अन्य व्यक्ति, जो इसमें शामिल हो सकते हैं, वे अब भी फरार हैं। इसलिए इस स्तर पर आरोपी को प्राथमिकी की प्रति प्रदान करना जांच को प्रभावित कर सकता है।’’
बहस के दौरान नीलम आजाद के वकील ने कहा कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
नीलम के वकील ने अदालत को बताया,, ‘‘(नीलम आजाद के) माता-पिता दर-दर भटक रहे हैं। दिल्ली पुलिस उसे अपने परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दे रही है और प्राथमिकी की प्रति भी नहीं दे रही है जो उसके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।’’
अदालत ने शनिवार को नीलम की अर्जी पर पुलिस को नोटिस जारी किया था।
मामले में पुलिस ने नीलम के अलावा ललित झा, मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल शिंदे और महेश कुमावत को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपियों से पुलिस हिरासत में पूछताछ की जा रही है।
वर्ष 2001 के संसद में आतंकवादी हमले की बरसी के दिन एक बड़ी सुरक्षा चूक में दो व्यक्ति - सागर शर्मा और मनोरंजन डी दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए, ‘केन’ से पीले रंग का धुआं निकाला और जाने से पहले नारे लगाए। कुछ सांसदों और निगरानी एवं वार्ड कर्मचारियों ने उन्हें काबू में किया।
लगभग उसी समय दो अन्य आरोपियों - अमोल शिंदे और नीलम देवी ने भी संसद परिसर के बाहर ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाते हुए ‘केन’ से रंगीन गैस छोड़े।
सागर, मनोरंजन, अमोल और नीलम को तुरंत हिरासत में ले लिया गया, जबकि उनके साथी विशाल को बाद में गुरुग्राम से हिरासत में लिया गया। संसद पहुंचने से पहले आरोपी विशाल के घर रुके थे। बाद में झा और कुमावत को गिरफ्तार कर लिया गया था।
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