ताजा खबरें | संसद ने नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. संसद ने बुधवार को नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र संशोधन विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी तथा सरकार ने आश्वासन दिया कि भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के अधिकार, स्वतंत्रता और साख से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर संसद ने बुधवार को नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र संशोधन विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी तथा सरकार ने आश्वासन दिया कि भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के अधिकार, स्वतंत्रता और साख से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

राज्यसभा ने इस विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक में मध्यस्थता केंद्र का नाम नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र से बदलकर भारत अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र करने का प्रावधान है।

उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि सरकार इस बात से पूरी तरह सहमत है कि मध्यस्थता केंद्र पूरी तरह से स्वतंत्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इस केंद्र में सरकार का प्रभाव होगा तो यह निश्चित रूप से आकर्षक नहीं बन पाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘आखिर लोग वहां क्यों आएंगे जब उन्हें मालूम होगा कि (वहां) सरकार का गंभीर प्रभाव है? हमने इस बात का बहुत ख्याल रखा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने (केंद्र के) प्रस्तावित अध्यक्ष एवं सदस्यों को यह संदेश भिजवाया है कि सरकार इससे समुचित दूरी बनाए रखेगी...हम यह जानते हैं कि सरकार के हस्तक्षेप से यदि इसके अधिकार कम होते हैं तो उसकी साख कमजोर पड़ जाएगी।’’

रीजीजू ने कहा, ‘‘मैं सदन को आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के अधिकार, स्वतंत्रता और साख से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।’’

इससे पहले चर्चा में कुछ सदस्यों ने इस बात की आशंका जतायी थी कि मध्यस्थता केंद्र में सरकार के हस्तक्षेप से उसकी साख एवं स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।

रीजीजू ने मध्यस्थता केंद्र का नाम बदलने के प्रस्ताव की चर्चा करते हुए कहा कि देश में आज 36 मध्यस्थता संस्थान हैं और ये शहरों के नाम पर हैं। दिल्ली में दिल्ली उच्च न्यायालय के तहत पहले से ही दिल्ली माध्यस्थतम केंद्र है।

उन्होंने कहा कि मध्यस्थता केंद्र का नाम नयी दिल्ली होने से दिल्ली में यदि कोई ऐसा अन्य केंद्र है तो नामों में दोहराव हो सकता है, इसलिए सरकार ने नाम में बदलाव का प्रावधान किया।

विधि मंत्री ने कहा कि जब हम अंतरराष्ट्रीय स्तर के मध्यस्थता केंद्र की बात करते हैं तब ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह देश में स्थित कोई केंद्र है। ऐसी स्थिति में नाम में बदलाव करने की पहल की गई। उन्होंने कहा कि हमारा देश भी मध्यस्थता का संस्थागत केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है।

कानून मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे देश में मध्यस्थता का काम तो चल रहा है लेकिन हमारे देश के लोग ही मध्यस्थता के मामलों में विदेश को पसंद करते हैं। लोग सिंगापुर, हांगकांग आदि जाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि देश की उभरती हुई आर्थिक शक्ति के साथ साथ इस विधेयक के कानून बनने के बाद ‘‘हम दुनिया के व्यापारिक समुदाय को एक चुंबक की तरह आकर्षित कर सकते हैं।’’

रीजीजू ने कहा कि जो लोग मध्यस्थता के लिए विदेश जाते हैं, सरकार उन्हें अपने प्रयासों से यह भरोसा दिलवायेगी कि देश में ही उन्हें इसके लिए अच्छी व्यवस्था मिल सकती है। उन्होंने कहा कि देश में मध्यस्थता से जुड़े इतने मामले हैं कि उनको ही संभालना बड़ा काम है।

उन्होंने कहा कि सरकार के लिए यह चिंता का विषय है कि जब किसी मामले का मध्यस्थता केंद्र में निर्णय हो गया हो, उसके बाद उसे बड़ी अदालतों में जाने से मामले के अंतिम निर्णय में बहुत समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि यह भी एक कारण है कि कुछ लोग भारत के बजाय विदेश मध्यस्थता केंद्र को पसंद करते हैं।

रीजीजू ने माना कि देश के भीतर मध्यस्थता की प्रक्रिया महंगी है। यद्यपि उन्होंने यह विश्वास जताया कि देश में मध्यस्थता प्रक्रिया को कम दामों पर मुहैया कराया जा सकता है।

उन्होंने इस बात को गलत बताया कि सरकार विश्व बैंक के दबाव में इस विधेयक को लेकर आयी है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता केंद्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाना सरकार की प्राथमिकता है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र अधिनियम 2019 के माध्यम से नयी दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र स्थापित करने का उपबंध किया गया है। इसके तहत देश में संस्थानिक मध्यस्थता के लिये एक स्वतंत्र और स्वायत्त व्यवस्था सृजित करने का प्रस्ताव किया गया है।

अधिनियम की धारा 4 की उपधारा (1) नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र को राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था घोषित करती है।

इसके अनुसार फिर भी, यह अनुभव किया गया कि केंद्र एक राष्ट्रीय महत्व की संस्था होने के बाद भी नगर केंद्रित होने का आभास देता है जबकि यह भारत को संस्थानिक मध्यस्थता एवं अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा को प्रतिबिंबित करने वाला होना चाहिए।

ऐसे में केंद्र के नाम को नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम केंद्र से भारत अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थतम में परिवर्तन करना अनिवार्य समझा गया है जिससे इसकी पहचान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की हो और यह अपने वास्तविक उद्देश्यों को प्रतिबिंबित करे।

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