वाशिंगटन, 28 अप्रैल अमेरिका में पेंटागन के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा है कि भारत में ऑफसेट जरूरतें अमेरिका के साथ रक्षा सौदों में एक प्रमुख चुनौती है।
‘डिफेंस फॉर एक्विजिशन एंड सस्टेनमेंट (ए एंड एस)’ में अवर सचिव के तौर पर सेवाएं दे चुके एलेन लॉर्ड ने सदन की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से यह बात कही।
भारत ने दो हजार करोड़ रूपए से अधिक के रक्षा सौदों के लिए ऑफसेट का प्रावधान किया हुआ है,जिसके तहत विक्रेता कंपनी को सौदे की राशि का 30 प्रतिशत भारत में निवेश करना होना।
उन्होंने कहा कि, ‘‘भारत में अपार अवसर हैं,लेकिन अपार चुनौतियां भी हैं। हम कभी भारत के साथ व्यापक सुरक्षा समझौता नहीं कर सके ,जिसकी हम उम्मीद कर सकते थे।’’
लॉर्ड ने कहा, ‘‘हमारे सामने एस-400 को लेकर हुए करार के संबंध में चुनौतियां हैं और इसी प्रकार की और भी चीजें हैं। साथ ही कारोबार करने के संबंध में चुनौतियां हैं। मैं आपको बता सकता हूं कि भारत में ये, ऑफसेट जरूरतों के लिहाज से काफी ज्यादा हैं....।’’
अमेरिका भारत के साथ अरबों डॉलर की अहम रक्षा खरीद,जिनमें गार्डियन ड्रोन भी शामिल है,पर बातचीत कर रहा है। पिछले दशकों में दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार शून्य से 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
अब अमेरिका की बोइंग, लॉकहीड मार्टिन तथा जनरल एटॉमिक्स जैसी बड़ी कंपनियां भारतीय बाजारों की ओर देख रही हैं।
भारत की हाल की यात्रा से लौटे सांसद मार्क केली के एक प्रश्न के उत्तर में लॉर्ड ने कहा, ‘‘तो अपार क्षमताए हैं लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि नीतियों और प्रक्रियाओं को तैयार करने,उन्हें बनाए रखने की दिशा में भारत सरकार के साथ काम करने में चुनौतियां हैं...।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी हालिया चर्चाओं से मुझे लगता है कि अमेरिका और भारत के बीच सुरक्षा तथा उद्योग साझेदारी को मजबूत करने की इच्छा है। आपके क्या विचार हैं कि हम उन्हें कैसा पूरा कर सकते है? और क्या आप इससे समहत हैं कि इससे अमेरिकी सामरिक हित भी लाभान्वित होंगे,वह भी ऐसे वक्त में जब रूस खुद भारत के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने का इच्छुक है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ यह हमारे लिए अपने कुछ सैन्य साजोसामान की ब्रिकी करके संबंध बनाने का अवसर है।’’
इस पर हाल में भारत और नेपाल की यात्रा से लौटीं सांसद क्रिस्टेन गिलीब्रांड ने कहा कि दोनों देश अमेरिका निर्मित हेलीकॉप्टर खरीदना पसंद करेंगे।
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