देश की खबरें | ईसाइयों, उनकी संस्थाओं पर कथित हमलों के मामलों की संख्या गलत है : केन्द्र ने न्यायालय को बताया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को केन्द्र सरकार ने ईसाई संस्थानों और पादरियों पर कथित हमलों से जुड़े आंकड़ों को ‘गलत’ बताते हुए दावा किया कि आवेदक विदेशों में देश की छवि खराब करने के लक्ष्य से ‘‘मामले को तूल देते रहना चाहते हैं।’’
नयी दिल्ली, 13 अप्रैल उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को केन्द्र सरकार ने ईसाई संस्थानों और पादरियों पर कथित हमलों से जुड़े आंकड़ों को ‘गलत’ बताते हुए दावा किया कि आवेदक विदेशों में देश की छवि खराब करने के लक्ष्य से ‘‘मामले को तूल देते रहना चाहते हैं।’’
शीर्ष अदालत नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम के रेवरंड पीटर मकाडो, इवानजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया के रेवरेड विजयेश लाल और अन्य लोगों द्वारा ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा का दावा करते हुए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ को याचिकाकर्ताओं ने पहले बताया था कि 2021 से मई 2022 के बीच ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा की 700 घटनाओं में मामला दर्ज हुआ है और गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोग एक पंथ के अनुयायी हैं।
केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से प्राप्त ऐसी घटनाओं के आंकड़ों का संदर्भ देते हुए कहा कि इनमें से ज्यादातर पड़ोसियों के साथ हुए झगड़े हैं और यह सिर्फ संयोग है कि दोनों पक्षों में से एक ईसाई है।
उन्होंने कहा कि पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के आधार पर मामले में संज्ञान लिया है, जो (आंकड़े) गलत हैं।
मेहता ने कहा, ‘‘याचिका दायर करने वाले का दावा है कि करीब 500 घटनाएं ऐसी हैं जिनमें ईसाइयों पर हमला हुआ है। हमने सारी जानकारी राज्य सरकारों को भेज दी है। हमने जितनी जानकारी मिल सकती थी, जुटायी है। पहले हमें बिहार पर बात करने दें। याचिकाकर्ता ने जो मामलों की कुल संख्या बतायी है वह पड़ोसियों के बीच के झगड़ों की है, जिनमें (पड़ोसियों में) से एक संयोगवश ईसाई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनके द्वारा उपलब्ध कराये गए जिस आंकड़े ने आपकों संज्ञान लेने पर बाध्य किया, वह सही नहीं है।’’
मेहता ने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से प्रतिक्रिया एकत्र की है।
हालांकि बिहार से 38 घटनाओं की सूचना है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, ये घटनाएं दो पड़ोसियों के बीच के झगड़े की है जिनमें से एक ईसाई है।
यह दावा करते हुए कि याचिकाकर्ता सिर्फ ‘मामले को तूल देते रहना चाहते हैं’’ मेहता ने कहा कि उनके द्वारा चलायी जा रही न्यायिक प्रक्रिया का जनता में गलत संदेश जाएगा।
मेहता ने कहा, ‘‘देश के बाहर इसे यही रंग दिया जा रहा है। लोगों को यही संदेश जा रहा है कि ईसाई खतरे में हैं और उनपर हमला हो रहा है। यह गलत है।’’
याचिकाकर्ता द्वारा बतायी गई संख्या को गलत बताते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘जहां कहीं भी गंभीर अपराध होते है, गिरफ्तारी करनी होती है.... गिरफ्तारियां हुई हैं।’’
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में 64 गिरफ्तारियां हुई हैं, जहां राज्य सरकार ने ऐसी घटनाओं की सूचना देने के लिए हेल्पलाइन शुरू की है।
मेहता ने कहा, याचिका में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में ईसाइयों और उनकी संस्थाओं पर 495 हमले हुए हैं, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, यह घटनाएं कभी हुई ही नहीं हैं।
न्यायालय ने केन्द्र द्वारा दायर रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और याचिकाकर्ता को इसपर जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।
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