गैर-सरकारी संगठनों को राहत कार्यों के लिये सीधे एफसीआई से अनाज खरीदने की अनुमति: सरकार

मंत्रालय ने बयान में कहा कि ये संगठन खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत पूर्व निर्धारित आरक्षित मूल्य पर एफसीआई से एक बार में 10 टन तक अनाज खरीद सकते हैं।

नयी दिल्ली, आठ अप्रैल खाद्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि गैर-सरकरी संगठनों (एनजीओ) और परमार्थ संस्थान अब गेहूं और चावल सीधे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से खरीद सकते हैं और उन्हें उसके लिये ई-नीलामी की प्रक्रिया में जाने की जरूरत नहीं है।

मंत्रालय ने बयान में कहा कि ये संगठन खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत पूर्व निर्धारित आरक्षित मूल्य पर एफसीआई से एक बार में 10 टन तक अनाज खरीद सकते हैं।

अबतक केवल राज्य सरकारों और ‘रोलर फ्लोर मिल’ जैसे पंजीकृत थोक उपभोक्ताओं को एफसीआई से ओएमएसएस दरों पर अनाज खरीदने की अनुमति थी।

मंत्रालय के अनुसार, ‘‘एनजीओ और परमार्थ संगठन ‘लाकडॉउन’ (बंद) के दौरान हजारों गरीबों और जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं। इन संगठनों को बिना किसी बाधा के खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने एफसीआई को बिना ई-नीलामी प्रक्रिया के जरिये गेहूं और चावल ओएमएसएस दरों पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।’’

बयान में कहा गया है कि ऐसे संस्थानों द्वारा अनाज के उठाव के बारे में सूचना संबंधित जिलाधिकारी को दी जाएगी ताकि खाद्यान्न का उपयोग निर्धारित मकसद के लिये हो सके।

इसमें कहा गया है, ‘‘इससे राहत शिविरों में गरीबों और प्रवासी कामगारों को भोजन कराने के परमार्थ कार्य में उन्हें मदद मिलेगी।’’

एफसीआई केंद्र सरकार की अनाज की खरीद ओर उसके वितरण के लिये नोडल एजेंसी है। उसके नेटवर्क में देश में 2,000 से अधिक गोदाम हैं। इससे उन संगठनों को आसानी से अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित हो पाएगी।

एफसीआई प्रधानमंत्री गरीब अन्न योजना के तहत गरीबों को मुफ्त वितरण को लेकर पहले ही करीब 10 लाख टन अनाज राज्यों को सौंप चुका है।

देयाव्यापी बंद के बाद से निगम राज्यों को राशन की दुकानों से अनाज के वितरण के लिये 32 लाख टन अनाज उपलब्ध कराया है।

सरकार ने कहा कि वह हर राज्य में भंडार की स्थिति पर नजर रख रही है और सभी जगह पर्याप्त भंडार की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है।

सात अप्रैल की स्थिति के अनुसार एफसीआई के पास 5.442 करोड़ टन अनाज के भंडार थे। इसमें से 3.062 करोड़ टन चावल और 2.38 करोड़ टन गेहूं था।

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