आगामी खरीफ सत्र के लिए एनएफएल, किसानों को यूरिया की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगी: सरकार

   एनएफएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मनोज मिश्रा ने एक बयान में कहा कि कंपनी के पांच इकाइयों में उत्पादन ‘पूरे जोरों पर चल रहा है’ और रोजाना 11,000 टन से अधिक माल बन रहा है जिन्हें नियमित रूप से बाजार में भेजा जा रहा है।

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नयी दिल्ली, 14 अप्रैल केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि सरकारी स्वामित्व वाली राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटेड (एनएफएल) 100 प्रतिशत से अधिक क्षमता के साथ काम कर रही है और ‘लॉकडाऊन’ के दौरान किसानों को यूरिया की बगैर किसी बाधा के आपूर्ति सुनिश्चित कर रही है। कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए, लॉकडाऊन की समयसीमा को तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

   एनएफएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मनोज मिश्रा ने एक बयान में कहा कि कंपनी के पांच इकाइयों में उत्पादन ‘पूरे जोरों पर चल रहा है’ और रोजाना 11,000 टन से अधिक माल बन रहा है जिन्हें नियमित रूप से बाजार में भेजा जा रहा है।

कंपनी के पास, पंजाब के नांगल और भटिंडा, हरियाणा में पानीपत और मध्य प्रदेश के विजयपुर में दो यानी कुल पांच गैस आधारित यूरिया संयंत्र हैं।

उर्वरक मंत्रालय ने कहा कि एनएफएल बड़े मुश्किल समय में इन संयंत्रों के अधिक से अधिक संचालन को बरकरार रखे है जो विशेष रूप से देश के कृषक समुदाय के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में एक बड़ी सफलता की कहानी है।

केंद्र सरकार ने आगामी खरीफ मौसम के दौरान पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उर्वरक संयंत्रों को लॉकडाउन के नियमों से छूट देते हुए काम करने को कहा है।

बयान में कहा गया है कि इन संयंत्रों में लोडिंग और अनलोडिंग, डिस्पैच और वितरण गतिविधियां जोरों से चल रही हैं तथा कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम के लिए बचावकारी उपायों से कोई भी समझौता नहीं किया गया है।

कोविड-19 के प्रसार के खिलाफ पर्याप्त निवारक उपाय सुनिश्चित करने के लिए सभी इकाइयों में एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

इन संयंत्रों के परिसर में काम करने वाले मजदूरों और अन्य सभी कर्मचारियों को मास्क प्रदान किए जाते हैं। हाथों की बार-बार धुलाई भी सुनिश्चित की जाती है।

एनएफएल और उसके कर्मचारी भी जरूरतमंद लोगों को भोजन और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं को वितरित करने में सक्रियता से भाग लेकर कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के अपने प्रयास में सरकार की मदद कर रहे हैं। उन्होंने पीएम-केयर्स फंड में अपने एक महीने के वेतन का भी योगदान दिया है।

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