देश की खबरें | राकांपा का कटाक्ष; देश के सभी सरकारी अस्पताल, मोरबी अस्पताल की तरह ‘चमकाएं’ जाएं
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मुंबई, दो नवंबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए बुधवार को कहा कि मोरबी सिविल अस्पताल का जिस प्रकार ‘‘रातभर में कायाकल्प’’ किया गया, उस योजना को देश के सभी सरकारी अस्पतालों में लागू करने की आवश्यकता है और इसे ‘गुजरात अस्पताल मॉडल’ का नाम दिया जाना चाहिए।
राकांपा ने गुजरात में मोरबी शहर के अस्पताल को मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले चकाचक किए जाने के मद्देनजर यह टिप्पणी की है।
मोरबी में पुल ढहने के कारण 135 लोगों की मौत हो गई है। इस हादसे में कई लोग घायल हुए हैं। मोदी घायलों से मिलने अस्पताल गए थे।
कर्मचारियों को मोदी के दौरे से पहले अस्पताल को साफ करते और उसकी रंगाई-पुताई करते देखा गया था।
राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले मोरबी सिविल अस्पताल की साफ-सफाई एवं आधुनिकीकरण कर ‘‘पूरी तरह कायाकल्प’’ किए जाने के दृश्य सामने आए।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि मोरबी में सरकारी प्राधिकारियों ने मोदी के दौरे को इतनी गंभीरता से ले लिया कि उन्होंने खराब पड़े पानी के कूलर की जगह नए कूलर लगा दिए।
क्रेस्टो ने कहा कि उन्होंने इतनी लगन से काम किया कि अस्पताल अब नया जैसा अच्छा लग रहा है।
राकांपा नेता ने कहा, ‘‘इस कायाकल्य से भविष्य में अस्पताल आने वाले लोगों को निश्चित ही लाभ होगा। अब सवाल यह पैदा होता है कि यदि गुजरात सरकार एवं नगर निकाय प्राधिकारी रातभर में किसी अस्पताल को चमका सकते हैं, तो वे राज्यभर के सभी अस्पतालों में ऐसा क्यों नहीं कर सकते?’’
उन्होंने कहा कि प्राधिकारियों ने साबित कर दिया है कि यदि वे चाहें, तो अस्पतालों को कभी भी स्वच्छ और आधुनिक बना सकते हैं।
नेता ने कहा कि अगर गुजरात सरकार पूरे राज्य में ऐसा नहीं करती है, तो इससे यह साबित होगा कि मोरबी पुल गिरने के कारण हताहत हुए लोगों और गुजरात के लोगों का उनके लिए कोई महत्व नहीं है और यह सब केवल प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए किया गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि ऐसा है, तो यह बहुत ही शर्मनाक एवं असंवेदनशील कृत्य है।’’
क्रेस्टो ने व्यंग्य कसते हुए कहा, ‘‘मोरबी सिविल अस्पताल का जिस प्रकार रातभर में कायाकल्प किया गया, उन्हें (केंद्र सरकार को) उस योजना को देश के सभी सरकारी अस्पतालों में लागू करने की आवश्यकता है और इसे ‘गुजरात अस्पताल मॉडल’ का नाम दिया जाना चाहिए।’’
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