
नयी दिल्ली, 20 मार्च केंद्र ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि अंतरराष्ट्रीय तेल खरीद पर भारत का फैसला विभिन्न कारकों पर आधारित है, जिसमें देश के राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर हैं।
राज्यसभा में विदेश मंत्रालय से पूछा गया कि क्या यह सच है कि अमेरिका ने भारत को रूस से तेल नहीं लेने के लिए कहा है और इसके लिए समयसीमा तय की है।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अपने लिखित जवाब में कहा कि मंत्रालय को अमेरिका द्वारा 14 जनवरी को ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित 400 से अधिक रूसी संस्थाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में सूचित किया गया था।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय या ओएफएसी द्वारा घोषित प्रतिबंध के दायरे में तेल की बड़ी कंपनियों और उनकी सहायक कंपनियों, एलएनजी टर्मिनलों, बीमा कंपनियों, तेल व्यापारियों/दलालों, तेल जहाजों और तेल क्षेत्र सेवाओं के प्रदाताओं को भी लाया गया है।
उन्होंने कहा कि 60-दिवसीय ‘वाइंडिंग डाउन अवधि’ की भी घोषणा की गई, जिसके बाद अमेरिका को उन सभी को नामित करना था जो रूस के ऊर्जा क्षेत्र में प्रतिबंधित पक्षों के साथ काम जारी रखते हैं।
राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय तेल खरीद पर भारत सरकार का निर्णय भारत के राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न कारकों पर आधारित है। भारतीय तेल व्यापारियों, तेल क्षेत्र सेवा प्रदाताओं और बीमा कंपनियों को प्रभावित करने वाले किसी भी प्रावधान के बारे में सभी संबंधित हितधारकों को संवेदनशील बनाने के लिए आवश्यक कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं।’’
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