जरुरी जानकारी | बड़े मिलों की मांग बढ़ने, आवक घटने से सरसों की अगुवाई में अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. कच्ची घानी के बड़े खाद्यतेल मिलों की मांग बढ़ने तथा बरसात के कारण मंडियों में कम आवक की वजह से देश के तेल-तिलहन बाजारों में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन की अगुवाई में मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ जबकि सोयाबीन तिलहन के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए।
नयी दिल्ली, सात सितंबर कच्ची घानी के बड़े खाद्यतेल मिलों की मांग बढ़ने तथा बरसात के कारण मंडियों में कम आवक की वजह से देश के तेल-तिलहन बाजारों में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन की अगुवाई में मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ जबकि सोयाबीन तिलहन के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने बताया कि बरसात के कारण सोयाबीन, मूंगफली और बिनौला आदि के फसल आने में अभी देर होगी जिसकी वजह से बाजार में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति बनी हुई है। सोयाबीन का आयात करने में भी 50-60 दिन का समय लगता है। दूसरा पामोलीन का दाम थोक में सोयाबीन से 60 डॉलार प्रति टन ऊंचा है और इतने मंहगे दाम पर कोई पामोलीन तेल भी कम मंगायेगा जिसके आयात में अपेक्षाकृत काफी कम समय लगता है।
इस स्थिति को देखते हुए फिलहाल शॉर्ट सप्लाई की स्थिति बनी रहेगी। शॉर्ट सप्लाई के कारण जहां सोयाबीन तेल के दाम में सुधार है वहीं मंहगे दाम पर सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) की निर्यात की मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट आई।
सूत्रों ने कहा कि सरकार सूरजमुखी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पिछले लगभग 10 सालों से सूरजमुखी का एमएसपी बढ़ाती आ रही है। मगर इसका बाजार नहीं होने के कारण सूरजमुखी का उत्पादन बढ़ने के बजाय घटता ही जा रहा है। सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी खरीद करती भी है तो बाद में उसे कम दाम पर बेचना पड़ता है और सूरजमुखी किसानों को सूरजमुखी की खपत के लिए सरकार पर निर्भरता के कारण उन्होंने धीरे धीरे सूरजमुखी की खेती ही छोड़ दी। क्योंकि सूरजमुखी पेराई मिलों को पेराई के बाद सूरजमुखी तेल का दाम लागत से कम मिलता था यानी उन्हें नुकसान होता है।
पेराई के बाद सूरजमुखी तेल की लागत बैठती है लगभग 150 रुपये लीटर और बाजार में लूज में इस तेल का दाम है 85-90 रुपये लीटर। जब किसी तेल का बाजार ही विकसित ना हो तो सरकार की खरीद का कोई फायदा नहीं होगा। इसी तरह अगर सरकार सारे का सारा सोयाबीन फसल खरीद भी ले तो उसका कोई फायदा नहीं निकलेगा। जब तक निर्यात के लिए सोयाबीन डीओसी के दाम प्रतिस्पर्धी नहीं होंगे तो सोयाबीन डीओसी बिकेगा ही नहीं। इसके निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार को सब्सिडी देने के बारे में विचार करना होगा। सोयाबीन का नया एमएसपी 4,892 रुपये क्विंटल है और लूज में 4,200-4,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर भी लिवाल मुश्किल से मिल रहे हैं।
मांग निकलने और कम आवक के कारण से मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार रहा। शॉर्ट सप्लाई के कारण सीपीओ और पामोलीन के दाम भी मजबूत रहे। मांग बढ़ने के साथ नगण्य आपूर्ति के कारण बिनौला तेल के दाम में भी सुधार रहा।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,310-6,350 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,700-6,975 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,385-2,685 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 12,525 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,010-2,110 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,010-2,125 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,625 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,225 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,425 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,850 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,740-4,770 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,540-4,675 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।
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