देश की खबरें | भारत में एक दिन में सर्वाधिक मामले, ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने का केंद्र का राज्यों को निर्देश

नयी दिल्ली, 22 अप्रैल भारत में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के अब तक के सर्वाधिक 3.14 लाख से ज्यादा मामले आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,59,30,965 हो गई। दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण का यह सर्वाधिक आंकड़ा है।

दूसरी ओर, अनेक अस्पतालों के ऑक्सीजन की कमी का सामना करने के बीच केंद्र ने चिकित्सीय ऑक्सीजन का निर्बाध उत्पादन और आपूर्ति तथा निर्बाध परिवहन का राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कड़ा आदेश निर्देश दिया।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में ऑक्सीजन आपूर्ति की समीक्षा करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की और अधिकारियों से ‘प्राणवायु’ का उत्पादन बढ़ाने, इसके वितरण की गति तेज करने और स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए नए तरीके अपनाने को कहा।

मोदी शुक्रवार को चुनाव रैलियों को संबोधित करने बंगाल नहीं जाएंगे और महामारी से संबंधित स्थिति की समीक्षा के लिए यहां उच्चस्तरीय बैठकें करेंगे।

वह बंगाल के मतदाताओं को डिजिटल रूप से संबोधित करेंगे।

वहीं, उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं समेत अन्य मुद्दों पर “राष्ट्रीय योजना” चाहता है।

न्यायालय ने टिप्पणी की कि वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन को एक "आवश्यक हिस्सा" कहा जाता है और ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ हद तक ‘घबराहट’ पैदा हुई जिसके कारण लोगों ने कई उच्च न्यायालयों से संपर्क किया है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस आर भट की तीन सदस्यीय पीठ ने गंभीर स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि वह देश में कोविड-19 टीकाकरण के तौर-तरीके से जुड़े मुद्दे पर भी विचार करेगी।

इसके साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 संबंधी स्थिति ‘‘गंभीर’’ हो गई है और कई अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो रही है।

इसने केंद्र को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि शहर को आवंटन आदेश के अनुरूप निर्बाध रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति हो।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, ‘‘हम सब जानते हैं कि इस देश को भगवान चला रहे हैं।’’

पीठ का मत था कि प्राणवायु (ऑक्सीजन) के परिवहन में आने वाली हर बाधा को हटाया जाना चाहिए।

इसने कहा कि सरकार यदि चाहे तो वह कुछ भी कर सकती है, यहां तक कि ‘‘आकाश और जमीन को भी एक कर सकती है।’’

अदालत ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी आदेश के दायरे में आने वाले सभी संबंधित अधिकारी केंद्र के इस आदेश का कड़ा अनुपालन सुनिश्चित करें कि चिकित्सीय ऑक्सीजन सहित व्यक्तियों तथा सामान के अंतरराज्यीय और राज्य के भीतर आवगमन पर कोई रोक नहीं होगी।

अदालत ने स्पष्ट किया कि आदेश का पालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा क्योंकि इसका परिणाम बड़े स्तर पर जनहानि के रूप में निकलेगा।

इसने कहा कि आदेश का अनुपालन न करने पर आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

इस बीच, केन्द्र ने आज राज्यों को निर्देश दिया कि वे चिकित्सकीय ऑक्सीजन का निर्बाध उत्पादन-आपूर्ति और उसका अंतरराज्यीय परिवहन सुनिश्चित करें।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस आदेश की अवहेलना होने पर संबंधित जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जवाबदेह होंगे।

कोविड-19 मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण ऑक्सीजन की मांग में वृद्धि के बाद कुछ राज्यों द्वारा अन्य राज्यों को चिकित्सकीय ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित किए जाने की खबरों की पृष्ठभूमि में केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कठोर आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत यह आदेश जारी किया।

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