ताजा खबरें | रास में विभिन्न दलों के सदस्यों ने कमजोर तबको के सशक्तीकरण को बताया संविधान की भावना के अनुरूप

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने देश में हो रहे विकास के लाभ को समाज के कमजोर तबकों तक पहुंचाने को संविधान की भावना के अनुरूप करार देते हुए सुझाव दिया कि एससी, एसटी एवं ओबीसी वर्गों को आरक्षण का समुचित लाभ देते हुए उन्हें देश की मुख्यधारा में लाने का अवसर दिया जाना चाहिए।

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर राज्यसभा में मंगलवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने देश में हो रहे विकास के लाभ को समाज के कमजोर तबकों तक पहुंचाने को संविधान की भावना के अनुरूप करार देते हुए सुझाव दिया कि एससी, एसटी एवं ओबीसी वर्गों को आरक्षण का समुचित लाभ देते हुए उन्हें देश की मुख्यधारा में लाने का अवसर दिया जाना चाहिए।

‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर राज्यसभा में हो रही चर्चा में भाग लेते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि काका कालेलकर की रिपोर्ट को पेश करने के बाद 22 साल तक दबा कर रखा गया। उन्होंने कहा कि 1974 में छात्रों को आंदोलन करने पर क्यों मजबूर होना पड़ा?

उन्होंने कहा कि मोरारजी देसाई को छात्रों के आंदोलन के समर्थन में अहमदाबाद में आमरण अनशन करना पड़ा और लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने जब छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया तो पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं।

ठाकुर ने कहा कि चंद्रशेखर को भी उस समय आंदोलन में उतरने के कारण जेल में डाला गया जबकि वह पहले कांग्रेस में थे।

जनता दल(यू) नेता कहा कि उन्होंने भी इस दौरान जेल में दिन गुजारे थे। उन्होंने कहा कि छात्रों का आंदोलन उग्र होने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रातोंरात देश में आपातकाल लगा दिया।

ठाकुर ने कहा कि समाज में कमजोर तबकों को उठाने की बात जो संविधान में लिखी गयी है, उसे पूरा करने के लिए, अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का काम पहले क्यों नहीं किया गया? उन्होंने कहा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर सहित जिस भी नेता ने इस वर्ग को आरक्षण दिया, उसकी सराहना की जानी चाहिए।

उन्होंने चौधरी चरण सिंह, जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के निर्णय की सराहना की। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों को इन नेताओं को सम्मानित करने से किसने मना किया था?

आम आदमी पार्टी के अशोक कुमार मित्तल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि एक समय भारत को सांप-सपेरों का देश कहा जाता था, वह आज एक आत्मनिर्भरता वाला देश बन गया है, जिसका कारण भारत का संविधान है।

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि 250 साल बाद भी अमेरिका में कोई महिला राष्ट्रपति नहीं बन पायी जबकि भारत में संविधान लागू होने के मात्र 16 वर्ष में देश में पहली महिला प्रधानमंत्री बनी जो दुनिया की दूसरी महिला प्रधानमंत्री थीं। साथ ही भारत में अभी तक दो महिला राष्ट्रपति बन चुकी हैं।

मित्तल ने कहा कि आज तक कोई भी सरकार देश के संविधान के मूल स्वरूप को नहीं बदल पायी है।

आप सदस्य ने कहा कि एक हजार वर्ष बाद भी भारत का संविधान सरकार और देश की जनता का मार्गदर्शन करता रहेगा।

वाईएसआर कांग्रेस के गोला बाबूराव ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार को समाज के कमजोर एवं निर्धन तबकों के कल्याण के लिए मजबूत कदम उठाना चाहिए क्योंकि यह संविधान की भावना के अनुरूप है।

उन्होंने कहा कि कोई भी उन कारणों पर विचार नहीं कर रहा है कि संविधान को लागू हुए 75 वर्ष होने के बावजूद गरीब तबके का विकास क्यों नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस दिशा में ठोस प्रयास करना चाहिए।

बाबूराव ने मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को यहां सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए फौरन कदम उठाने चाहिए।

राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भले ही भाजपा सौ साल तक चुनाव जीत ले किंतु प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जहां खड़े थे, वे वहीं खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि नेहरू हमेशा तानाशाही और अधिनायकवाद के खिलाफ थे।

उन्होंने कहा कि आज जब संविधान पर बात हो रही है तो सभी का यह दायित्व है कि आजादी पर बात की जाए। उन्होंने कहा कि जब संविधान लागू होने के 100 साल बाद चर्चा होगी तो यह नहीं भूलना चाहिए कि उसमें आज की सरकार की भी आलोचना हो सकती है।

झा ने कहा कि नेहरू, पटेल और आजाद ने देश की नींव डाली। उन्होंने कहा कि उन नेताओं से हो सकता है गलती हुई हो किंतु उन्हें खलनायक बनाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि संविधान में आय असमानता को दूर करने की बात कही गयी है। उन्होंने कहा कि आय असमानता के मामले में आज हम ‘टाइम बम’ पर बैठे हुए हैं।

राजद सदस्य ने प्रश्न किया कि सीवर में उतर कर कई सफाईकर्मियों की मौत होती है किंतु ‘क्या वे एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे में नहीं आते हैं? उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आज जो कुछ हो रहा है, वह उनकी पीड़ा को साझा करते हैं।

झा ने कहा कि भारत एक परिपक्व लोकतंत्र हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ बांग्लादेश एवं पाकिस्तान में आज अल्पसंख्यकों के साथ जो हो रहा है, यदि हम अपने देश में अल्पसंख्यकों के साथ पूरी तरह न्याय कर पाए होते तो हम इन दोनों देशों से जोर देर कर कह सकते थे। ’’

उन्होंने एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर कहा कि यह ‘लोगों की इच्छा’ से जुड़ा मामला है और इसे अमली जामा पहनाने से पहले इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा कराये जाने की आवश्यकता है।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अब्दुल वहाब ने कहा कि समाज में कुछ ऐसे कमजोर तबके के लोग हैं, जिनके कल्याण के लिए सरकार और समाज को गंभीरता से सोचना चाहिए।

उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वायनाड से हाल में लोकसभा चुनाव जीतने की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि लोग एक परिवार का इसलिए सम्मान करते हैं क्योंकि गांधी परिवार ने देश के लिए बलिदान दिया है।

उन्होंने कहा कि संविधान पर चर्चा के दौरान चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की भूमिका की सराहना की और देश में उनका सम्मान लगातार बढ़ता जा रहा है।

बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने संविधान लागू होने के 75 वर्ष बाद भी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को उच्च शिक्षा, रोजगार एवं पदोन्नति में समुचित आरक्षण नहीं मिल पाया है।

उन्होंने एससी एवं एसटी समुदाय के लोगों के खिलाफ उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि मणिपुर में हुई हिंसा में इन्हीं वर्गों के लोगों ने सबसे ज्यादा पीड़ा को झेला है।

उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर ने सपना देखा था कि एससी एवं एसटी वर्ग के लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाया जा सकेगा किंतु वे आज भी अपने वांछित स्थान तक नहीं पहुंच सके हैं।

पीएमके के डॉ. अंबुमणि रामदास ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कहा है किंतु इसके लिए समाज के कमजोर तबकों का विकास करना होगा।

उन्होंने आरक्षण पर पचास प्रतिशत की सीमा को समाप्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि आज देश में सबसे ज्यादा अन्याय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश में ओबीसी की आबादी 60 प्रतिशत से अधिक है जबकि उनको मात्र 27 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है।

उन्होंने क्रीमी लेयर का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान विरोधी है। उन्होंने कहा कि एससी एवं एसटी के लिए जब क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है तो ओबीसी के लिए यह क्यों हैं।

रामदास ने जातिगत आरक्षण की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इससे सबसे अधिक लाभ ओबीसी वर्ग को मिलेगा।

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