Chandigarh Mayor Election: मान ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव पर शीर्ष अदालत की टिप्पणी का स्वागत किया, कहा-सच की जीत होगी
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव में कथित धांधली पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का मंगलवार को स्वागत करते हुए कहा कि सच्चाई की जीत होगी।
मोहाली (पंजाब), 6 फरवरी: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव में कथित धांधली पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का मंगलवार को स्वागत करते हुए कहा कि सच्चाई की जीत होगी. मान की यह प्रतिक्रिया चंडीगढ़ महापौर चुनाव के दौरान चुनावी कार्यवाही का एक वीडियो देखने के पश्चात शीर्ष अदालत द्वारा नाराजगी व्यक्त किये जाने के एक दिन बाद आयी है.
मान ने शीर्ष अदालत की टिप्पणी को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें उच्चतम न्यायालय का रुख करना पड़ा." उन्होंने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा, ''हमें उम्मीद है कि सच्चाई की जीत होगी.'' मान ने कहा कि यदि चुनावी कार्यवाही का वीडियो किसी आम आदमी को दिखाया जाएगा, तो वह पूछेगा कि वोटों की गिनती कैसे होती है.
मान का इशारा परोक्ष तौर पर चंडीगढ़ महापौर चुनाव के दौरान निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतपत्रों के साथ कथित "छेड़छाड़" की ओर था.
महापौर चुनाव के दौरान मतपत्रों को कथित रूप से विरूपित किसे जाने से ‘स्तब्ध’ उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि यह लोकतंत्र का मखौल है और आदेश दिया कि मतपत्रों और चुनावी कार्यवाही के वीडियो को संरक्षित रखा जाए. न्यायालय ने महापौर का चुनाव हारने वाले आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षद कुलदीप कुमार की उस याचिका पर गौर करने के बाद चंडीगढ़ के नगर निगम सहित चंडीगढ़ के प्राधिकारियों को नोटिस जारी किया था.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनावी कार्यवाही का वीडियो देखने के बाद अप्रसन्नता जताते हुए कहा था कि, प्रथम दृष्टया, निर्वाचन अधिकारी मतपत्रों को विरूपित कर रहे थे. भाजपा ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में आप-कांग्रेस गठबंधन को हरा दिया था. भाजपा के मनोज सोनकर ने महापौर पद के लिए हुए चुनाव में आप के कुलदीप कुमार को हराया था.
सोनकर को उनके प्रतिद्वंद्वी के 12 वोट के मुकाबले 16 वोट मिले थे. आठ वोट अवैध घोषित किए गए थे. विपक्षी पार्षदों ने आरोप लगाया था कि निर्वाचन अधिकारी ने मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ की है, वहीं, भाजपा ने इस आरोप को खारिज किया था. आप ने इसके बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया था और एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में नए सिरे से चुनाव कराने का अनुरोध किया था, लेकिन अदालत ने कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.
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