देश की खबरें | महाराष्ट्र : ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा में हंगामा, कार्यवाही दो बार स्थगित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट खारिज करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में शुक्रवार को एक-दूसरे को दोषी ठहराया।

मुंबई, चार मार्च महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट खारिज करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में शुक्रवार को एक-दूसरे को दोषी ठहराया।

इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में समुदाय को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है।

विधानसभा में सदस्य इस कदर नारेबाजी कर रहे थे कि विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को दो बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। एक बार 20 मिनट के लिए और फिर पूर्ण प्रश्नकाल तक कार्यवाही स्थगित की गई।

निचले सदन की बैठक शुरू होते ही विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का मुद्दा कार्य स्थगन नोटिस के माध्यम से उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की कि इस मुद्दे को चर्चा के लिए उठाया जाए और बाकी मुद्दों पर बाद में बहस हो।

उन्होंने कहा कि जब तक ओबीसी का आरक्षण बहाल नहीं हो जाता, तब तक राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होने चाहिए। फडणवीस ने आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को मजाक करार दिया, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ रिपोर्ट में, आंकड़े कब एकत्रित किए गए उससे जुड़ी कोई तारीख नहीं थी और ना ही उस पर किसी के हस्ताक्षर थे। राज्य के वकील यह बताने में नाकाम रहे कि किस आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है।’’

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में राज्य के दो-तिहाई स्थानीय निकाय में चुनाव होना है और अगर बिना ओबीसी आरक्षण के ये चुनाव होते हैं तो समुदाय को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।

फडणवीस ने कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय में जो हुआ वह महाराष्ट्र के लिए शर्मनाक है।’’

महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री एवं वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने स्वीकार किया कि रिपोर्ट में कुछ तकनीकी गलतियां हो सकती हैं, क्योंकि इसे जल्दबाजी में संकलित किया गया था।

उन्होंने कहा कि 2010 में, शीर्ष अदालत ने ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन की जानकारी के बारे में अनुभवजन्य आंकड़ों को संकलित करने का निर्देश दिया था। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2016 में जमा किए गए आंकडों को एकत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने राज्य के साथ आंकड़े साझा नहीं किए।

भुजबल ने आरोप लगाया, ‘‘ पांच साल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर फडणवीस ने भी इस संबंध में कुछ नहीं किया।’’ उन्होंने फडणवीस पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘ ना ही आपने और ना ही मोदी सरकार ने कोई कदम उठाया और अब आप हम पर आरोप लगा रहे हैं।’’

इसके बाद, सदन के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने कहा कि वह कार्य स्थगन प्रस्ताव को खारिज करते हुए प्रश्नकाल शुरू कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी नारेबाजी जारी रही और प्रश्नकाल तक कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में की गई सिफारिश के आधार पर कार्रवाई करने के लिए किसी भी प्राधिकार को अनुमति देना ‘‘संभव नहीं’’ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस शर्त के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है कि कुल कोटा 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होगा।

अदालत ने कहा था कि रिपोर्ट में ही उल्लेख है कि आयोग द्वारा अनुभवजन्य अध्ययन और शोध के अभाव में इसे तैयार किया गया है।

शीर्ष अदालत ने 19 जनवरी को राज्य सरकार को ओबीसी पर आंकड़े आयोग को देने का निर्देश दिया था ताकि इसकी शुद्धता की जांच की जा सके और स्थानीय निकायों के चुनाव में उनके प्रतिनिधित्व पर सिफारिशें दी जा सकें।

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