नयी दिल्ली, 23 अप्रैल कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान संक्रमण फैलने की गति को स्थिर रखने में मिली कामयाबी को सरकार ने अहम उपलब्धि बताते हुये बृहस्पतिवार को कहा कि इस अवधि में संक्रमण में कमी आयी, इसके प्रसार को न्यूनतम किया जा सका और संक्रमित मरीजों की संख्या दोगुना होने के समय में इजाफा भी हुआ।
उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को लॉकडाउन के 30 दिन पूरे हो गये।
कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिये सरकार द्वारा गठित वरिष्ठ अधिकारियों के समूह की अध्यक्षता कर रहे पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पिछले 30 दिनों में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से उछाल दर्ज नहीं किया गया, बल्कि मरीजों की संख्या, अन्य देशों की तुलना में धीमी गति से बढ़ी है। मिश्रा ने कहा कि संक्रमण के परीक्षण की गति भी लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि संक्रमण फैलने की गति और संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि की गति में निरंतर गिरावट आ रही है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि महामारी के प्रकोप में वृद्धि की गति स्थिर बनी हुयी है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश में 22 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ पर अमल के बाद केंद्र सरकार ने 25 मार्च से 21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन घोषित किया था। बाद में इसकी अवधि को तीन मई तक के लिये बढ़ा दिया गया।
मिश्रा ने लॉकडाउन की अवधि में इस महामारी को रोकने के लिये किये गये उपायों और इनसे हुये लाभ का ब्योरा देते हुये बताया कि 23 मार्च तक किये गये कुल परीक्षण में 4.5 प्रतिशत संक्रमित मरीज थे और 22 अप्रैल को भी कुल परीक्षण में संक्रमित मरीजों की हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि देश में वायरस के संक्रमण के प्रसार की दर स्थिर बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान दूसरी उपलब्धि संक्रमण के परीक्षण को बढ़ाना और तीसरी उपलब्धि वायरस के अचानक फैलने की स्थिति में इलाज के सभी जरूरी संसाधनों का इंतजाम करना रही।
मिश्रा ने बताया कि 23 मार्च तक देश में कोरोना वायरस के कुल 14915 परीक्षण किये गये थे, और 22 अप्रैल को यह संख्या पांच लाख को पार कर गयी है। मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद परीक्षण में 33 गुना वृद्धि हुई और संक्रमित मरीजों की संख्या 25 मार्च को 606 मरीज थी जो बढ़कर 23 अप्रैल को 21 हजार से अधिक हो गयी।
उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों के बाद भी वायरस की चुनौती को देखते हुये सरकार के प्रयास निरंतर व्यापक हो रहे हैं। इसके तहत स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार देने के लिये कोविड-19 अस्पतालों की संख्या में 3.5 गुना इजाफा हुआ और संक्रमित अथवा संदिग्ध मरीजों के लिये अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या 3.6 गुना बढ़ी है। इसके अलावा भविष्य में किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिये व्यापक पैमाने पर स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवियों की तैनाती का भी इंजताम किया जा रहा है।
मिश्रा ने कहा कि सरकार की तैयारियों का पहला मकसद है कि लॉकडाउन के पालन से किसी को अव्वल तो अस्पताल ही न आना पड़े और जो अस्पताल पहुंचते भी हैं उन्हें उपयुक्त इलाज और देखभाल मिले ताकि मृत्युदर को न्यूनतम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि अमेरिका, इटली, ब्रिटेन सहित अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में संक्रमण की वर्तमान स्थिति संतोषजनक है। मिश्रा ने इसे लॉकडाउन के लिहाज से अहम उपलब्धि बताते हुये कहा, ‘‘इन 30 दिनों में हम वायरस को फैलने से रोकने और इसके संक्रमण के खतरे को न्यूनतम करने में कामयाब रहे।
मिश्रा ने कहा कि महामारी के बढ़ने के खतरे से निपटने के लिये पिछले एक महीने में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और इलाज की खोज सहित अन्य मोर्चों पर महत्वपूर्ण कार्य किये गये। उन्होंने बताया कि इसके तहत पिछले एक महीने में कोविड-19 के लिए निर्धारित अस्पतालों की संख्या 3773 हो गयी है, जबकि पृथक बिस्तरों की संख्या बढ़ कर 1.94 लाख हो गयी है।
इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1409 नये मामले सामने आये। इसके साथ ही संक्रमित मामलों की कुल संख्या 21,393 हो गयी है।
अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 से संक्रमित 4257 मरीज अब तक स्वस्थ हो चुके हैं। इसके साथ ही स्वस्थ होने वाले मरीजों का प्रतिशत भी बढ़कर अब 19.89 फीसदी हो गया है।
उन्होंने बताया कि पिछले 28 दिनों में जिन जिलों में संक्रमण के एक भी मामले सामने नहीं आये, उनकी संख्या चार से बढ़कर अब 12 हो गयी है। इनमें कर्नाटक का चित्रदुर्ग, छत्तीसगढ़ का बिलासपुर, उत्तर प्रदेश का पीलाभीत और पंजाब का एसबीएस नगर जिला भी शामिल हैं।
अग्रवाल ने इसे सकारात्मक संकेत बताते हुये कहा कि देश के जिन जिलों में 14 दिन से एक भी संक्रमित मरीज नहीं मिला है, उनकी संख्या बढ़कर 78 हो गयी है। उन्होंने बताया इस वर्ग में नौ राज्यों के 33 नये जिले शामिल हुये हैं।
संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देशव्यापी अभियान में अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के रूप में कार्यरत चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सख्त कानूनी प्रावधानों वाला अध्यादेश जारी करने के लिये चिकित्सकों की ओर से सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।
डा. गुलेरिया ने संक्रमण के लक्षण उभरने के बाद भी संक्रमण की जांच के लिये मरीजों के देर से अस्पताल पहुंचने पर चिंता व्यक्त करते हुये देशवासियों से संक्रमण से बचने और दूसरों को बचाने के लिये अस्पताल तक पहुंचने में तत्परता दिखाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि परीक्षण के लिये अस्पताल तक पहुंचने में हो रही देरी, कोरोना वायरस के खिलाफ जंग की समयसीमा को बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि संक्रमित मरीजों में 80 प्रतिशत मरीज सामान्य लक्षणों वाले हैं और इनके स्वस्थ होने की दर भी 92 से 95 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि यथाशीघ्र परीक्षण और संक्रमण की पुष्टि, इलाज के सफल होने की संभावना को प्रबल बनाती है।
इस दौरान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के निदेशक डा. बलराम भार्गव ने कहा कि पिछले एक महीने में संक्रमण की पहचान के लिये देश में परीक्षण का दायरा तेजी से बढ़ा है। उन्होंने बताया कि देश में सरकारी और निजी क्षेत्र की कुल 325 प्रयोगशालायें कार्यरत है।
डा. भार्गव ने कहा कि कोरोना वायरस के इलाज और टीके की खोज से जुड़े वैज्ञानिक शोध भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इलाज की मौजूदा सभी विधियों को अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गैर कोविड मरीजों का इलाज भी सुचारु बना रहे, इसके भी पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं।
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