देश की खबरें | डीपीएपी से कई नेताओं का चला जाना कोई झटका नहीं है: आजाद
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श्रीनगर, छह जनवरी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि डीपीएपी से नेताओं का कांग्रेस में लौट जाना उनकी पार्टी के लिए कोई झटका नहीं है। साथ ही उन्होंने अपने पुराने साथियों को शुभकामनाएं दीं।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पीरजादा मोहम्मद सईद समेत डीपीएपी के 17 नेता शुक्रवार को नयी दिल्ली में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गये।
आजाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह कोई झटका नहीं है क्योंकि उन तीनों का कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं , मैं उनके विरूद्ध कुछ नहीं बोलूंगा, क्योंकि वे मेरे पुराने साथी रहे हैं।’’
वह ताराचंद, सईद और ठाकुर बलवान सिंह का जिक्र कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि परिसीमन के बाद ये नेता बिना निर्वाचन क्षेत्र के रह गये थे, क्योंकि कुछ विधानसभा क्षेत्रों को आयोग ने आरक्षित कर दिया था।
आजाद ने कहा, ‘‘ मैंने उन्हें (पार्टी में) पद दिये, क्योंकि वे मेरे पुराने सहयोगी थे और चुनाव लड़ नहीं सकते थे। लेकिन उन्हें यह नहीं हजम नहीं हो पाया। तो ठीक है। शायद वे जहां गये हैं, वे नहीं जानते हैं कि इन तीनों के पास बस पार्टी के पद थे, उनका कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है।’’
जब उनसे यह पूछा गया कि राजौरी में आतंकवादियों द्वारा की गयी हत्याओं को सांप्रदायिक रंग देने को वह कैसे देखते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवादियों ने हमेशा ही यह करने का प्रयास किया है। यह कोई नयी चीज नहीं है और पिछले 25 साल से हो रहा है, जब कभी सिखों एवं कश्मीरी पंडितों का नरसंहार होता है... । यह पाकिस्तान की नीति है, यह अफसोसजनक है और इससे कश्मीर के मुसलमानों को भी काफी कुछ झेलना पड़ता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ शायद हत्यारों को इसका अहसास नहीं है कि कश्मीरी मुसलमानों को यहां किसी गैर मुसलमान की हत्या को लेकर काफी कुछ झेलना पड़ता है। हमारे लाखों लड़के-लड़कियां देशभर में पढ़ रहे हैं। इन हत्याओं का किसी न किसी रूप में उनपर असर पड़ता है।’’
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