बीते माह छोटी कंपनियों के शेयरों पर रही कोविड-19 की मार, बिकवाली के बीच 30 प्रतिशत टूटे
विश्लेषकों का कहना है कि मार्च का महीना घरेलू शेयर बाजारों के लिए काफी बुरा रहा। कोविड-19 की वजह से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन लागू है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने की आशंका पैदा हो गई है।
नयी दिल्ली, 10 अप्रैल कोविड-19 की मार से छोटी कंपनियों के शेयर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। बीते माह इस संकट के बीच शेयर बाजारों में जोरदार बिकवाली देखी गई। इसका सबसे ज्यादा असर छोटी कंपनियों के शेयरों पर दिखाई दिया। मार्च में बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप में 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई।
विश्लेषकों का कहना है कि मार्च का महीना घरेलू शेयर बाजारों के लिए काफी बुरा रहा। कोविड-19 की वजह से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन लागू है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने की आशंका पैदा हो गई है।
मार्च में बीएसई मिडकैप सूचकांक 4,030.09 अंक य 27.60 प्रतिशत टूटा। वहीं स्मॉलकैप में 4,100.09 अंक या 29.90 प्रतिशत की गिरावट रही। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 8,828.8 अंक या 23 प्रतिशत नीचे आया।
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च, 2020 में भारतीय शेयर बाजारों में उल्लेखनीय ‘करेक्शन’ हुआ। मार्च में नेशनल स्टॉक स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 23 प्रतिशत नीचे आ गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से लगे झटके से बीते माह दुनियाभर के शेयर बाजार प्रभावित हुए। भारतीय बाजार भी इससे बच नहीं सका।
शेयर बाजारों में बिकवाली इतनी जबर्दस्त थी कि 24 मार्च को सेंसेक्स 25,638.9 अंक के अपने एक साल के निचले स्तर पर आ गया। दो महीने पहले 20 मार्च को सेंसेक्स अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 42,273.87 अंक पर पहुंच गया था।
इसी तरह 24 मार्च को मिडकैप भी 9,555.24 अंक के अपने एक साल के निचले स्तर पर आया। 12 फरवरी को यह एक साल के उच्चस्तर 15,930.78 अंक पर था।
कुछ इसी तर्ज पर स्मॉलकैप सूचकांक 24 मार्च को अपने सर्वकालिक निचले स्तर 8,622.24 अंक पर रहा।
अजय
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