कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारत में प्रवेश की अनमुति मांगने वाले इराकी नागरिक की याचिका खारिज की
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारत में प्रवेश की अनुमित दिये जाने की मांग करने वाली इराकी नागरिक की याचिका खारिज कर दी. याचिकाकर्ता ने वीजा उल्लंघनों और काली सूची में डाले जाने के अपने दर्जे का हवाला देते हुए प्रवेश देने की मांग की थी.
बेंगलुरु, 20 जून : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारत में प्रवेश की अनुमित दिये जाने की मांग करने वाली इराकी नागरिक की याचिका खारिज कर दी. याचिकाकर्ता ने वीजा उल्लंघनों और काली सूची में डाले जाने के अपने दर्जे का हवाला देते हुए प्रवेश देने की मांग की थी. सगाद करीम इस्माइल ने अपने नाम के अक्षरों को कथित तौर पर बदला था, अपने वीजा स्टिकर के साथ छेड़छाड़ की थी और पिछली यात्राओं के दौरान अधिक समय तक रहने के कारण काली सूची में डाले जाने की स्थिति से बचने के लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता के फर्जी दावे किए थे. इराक की राजधानी बगदाद के रहने वाले 33 वर्षीय व्यक्ति ने यहां के अपने वकील मुंतंधेर अहमद के जरिये याचिका दाखिल की थी, जिसमें उसने विदेश मंत्रालय को फरवरी 2024 के अपने आवेदन के अनुसार चिकित्सा उपचार के लिए वीजा जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था.
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने तय समय से ज्यादा वक्त तक ठहरने के लिए काली सूची में डाले जाने के बावजूद भारत में दोबारा प्रवेश देने के बार-बार प्रयासों पर संज्ञान लेते हुए याचिका खारिज कर दी और चिकित्सा उपचार के दावों को 'फर्जी' करार दिया. इस्माइल पहली बार 2012 में 'फार्मेसी' पाठ्यक्रम के लिए बेंगलुरु आया था लेकिन उसने अपनी वीजा अवधि से 11 महीने से ज्यादा का वक्त बिताया, जिस कारण उसे मई 2019 तक के लिए काली सूची में डाल दिया गया. यह भी पढ़ें : NEET-UG 2024: नीट पेपर लीक मामले में विजय सिन्हा के निशाने पर आए तेजस्वी यादव
काली सूची में डाले जाने की अवधि के दौरान वापस लौटने के निरर्थक प्रयासों के बावजूद उसे दो बार चिकित्सा आधार पर वीजा जारी किया गया लेकिन फिर से वह निर्धारित अवधि से ज्यादा समय तक रुक गया. इसके बाद उसे फिर से काली सूची में डाल दिया गया. उसने 2020 में वीजा खारिज किये जाने को चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल की लेकिन गलत तरीके से दाखिल किए जाने के कारण उसपर सुनवाई नहीं हुई.