देश की खबरें | न्यायाधीशों से उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती: उच्चतम न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले की शुक्रवार को कड़ी आलोचना की, जिसमें किशोरियों को ‘अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण’ रखने की सलाह दी गई थी।

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले की शुक्रवार को कड़ी आलोचना की, जिसमें किशोरियों को ‘अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण’ रखने की सलाह दी गई थी।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की इन टिप्पणियों को आपत्तिजनक और गैर-जरूरी बताया।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि ये टिप्पणियां संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त किशोरों के अधिकारों का पूरी तरह से उल्लंघन हैं।

पीठ ने मामले में पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करते हुए कहा, ‘‘हमारा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि न्यायाधीशों से व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने या उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती।’’

शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनी सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान को न्याय मित्र नियुक्त किया। न्यायालय ने न्याय मित्र की सहायता के लिए अधिवक्ता लिज मैथ्यू को अधिकृत किया है।

शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर, 2023 के उस फैसले का स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें टिप्पणी की गई थी कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और दो मिनट के सुख के लिए खुद को समर्पित नहीं करना चाहिए।

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