देश की खबरें | झारखंड बंद : ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा झारखंड सरकार की 60/40 अनुपात नियोजन नीति के खिलाफ बुलाये गये दो दिवसीय राज्य बंद के दूसरे दिन रविवार को ग्रामीण क्षेत्रों में उसका आंशिक प्रभाव रहा जबकि शहरी क्षेत्रों में मिला-जुला असर रहा।
रांची/दुमका, 11 जून विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा झारखंड सरकार की 60/40 अनुपात नियोजन नीति के खिलाफ बुलाये गये दो दिवसीय राज्य बंद के दूसरे दिन रविवार को ग्रामीण क्षेत्रों में उसका आंशिक प्रभाव रहा जबकि शहरी क्षेत्रों में मिला-जुला असर रहा।
विभिन्न छात्र संगठनों के महागठबंधन ‘झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन’ ने 60-40 नियोजन नीति के विरोध में 48 घंटे के झारखंड बंद का आह्वान किया था जो शनिवार को शुरू हुआ। यूनियन खतियान आधारित रोजगार नीति की मांग कर रहा है।
रांची के बाहरी इलाके में बंद समर्थकों ने सिल्ली, बुंदू और तमार समेत विभिन्न क्षेत्रों में टायर जलाकर सड़कें जाम कीं। उन्होंने बुंदू में राष्ट्रीय राजमार्ग-33 अवरुद्ध कर दिया तथा राहे, सोनाहाटू, सिल्ली और तमार में बाजारों को बंद करवाया।
प्रदर्शनकारियों ने ओरमांझी के समीप रांची-पटना राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया जिससे वाहनों की कतारें लग गईं। पुलिस के हस्तक्षेप से जाम हटा।
रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल ने बताया कि अबतक 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है जो यातायात में रुकावट डाल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘जिले में सभी बड़े स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षाबल तैनात किये गये हैं। प्रदर्शनकारियों ने कुछ स्थानों पर सड़क जाम करने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने यथाशीघ्र जमा हटवा दिया। राज्य में कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है। हम प्रदर्शन पर कड़ी नजर रख रहे हैं।’’
जेएसएसयू नेता देवेंद्र महतो को सड़कें जाम करने और बाजारों को बंद करवाने को लेकर बुंदू में पुलिस ने हिरासत में लिया। कुछ ही घंटे बाद उन्हें छोड़ दिया गया। वह बाद में रांची पहुंच गये और वहां पुलिस ने फिर उन्हें हिरासत में ले लिया।
महतो ने दावा किया कि पूरे राज्य में दो दिवसीय बंद का कार्यक्रम पूरी तरह सफल रहा। उन्होंने दावा किया कि समस्त राज्य में पूर्ण बंद रहा और राज्य सरकार को छात्रों की मांगों पर विचार शीघ्र करना होगा।
महतो ने बताया कि इस बंद से आवश्यक चिकित्सा सेवाओं को मुक्त रखा गया। उन्होंने दावा किया कि बंद को सफल बनाने के लिए झारखंड के विभिन्न आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठनों ने छात्रों को अपना समर्थन दिया।
महतो ने कहा कि उनके संगठन की मांग है कि झारखंडी हित में क्षेत्रीय और जनजातीय से सुसज्जित खतियान आधारित संवैधानिक नियोजन नीति लागू कर सभी रिक्त पदों पर 100 प्रतिशत स्थानीय लोगों की नियुक्ति की जाए।
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