देश की खबरें | न्यायिक अधिकारियों के लिए कामकाज की गरिमामय परिस्थितियां सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व : न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि न्यायिक अधिकारियों को कामकाज करने के लिए गरिमामय परिस्थितियां मिलें और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मानवीय गरिमा से वंचित करने के लिए संसाधनों के अभाव को कारण नहीं बताया जा सकता।

नयी दिल्ली, 30 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि न्यायिक अधिकारियों को कामकाज करने के लिए गरिमामय परिस्थितियां मिलें और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मानवीय गरिमा से वंचित करने के लिए संसाधनों के अभाव को कारण नहीं बताया जा सकता।

न्यायालय ने कहा कि जिला न्यायपालिका के सदस्य नागरिकों के मामले सबसे पहले सुनते हैं।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता कानून के शासन में आम नागरिकों का विश्वास बनाए रखने के लिए जरूरी है। पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि न्यायाधीश वित्तीय गरिमा के साथ जीवन जी सकें।

न्यायालय ने कहा, ‘‘सरकार पर न्यायिक अधिकारियों के लिए कामकाज की सम्मानजनक परिस्थितियां सुनिश्चित करने का सकारात्मक दायित्व है। वह (सरकार) सेवा की उपयुक्त परिस्थितियां बनाए रखने के लिए आवश्यक वित्तीय बोझ या खर्च बढ़ने का बचाव नहीं कर सकती।’’

पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारी अपने कामकाजी समय का सबसे बड़ा हिस्सा संस्था की सेवा में बिताते हैं। न्यायिक कार्यालय की प्रकृति अक्सर कानूनी कामकाज को पंगु कर देती है...सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि (न्यायिक अधिकारी) सेवानिवृत्ति के बाद, मानवीय गरिमा के साथ रह सकें।’’

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि देश भर में न्यायिक अधिकारी जिन परिस्थितियों में काम करते हैं, वह कठिन है और उनका कामकाज अदालत में न्यायिक कर्तव्यों के निर्वहन की अवधि तक ही सीमित नहीं है।

इसने कहा कि हर न्यायिक अधिकारी को अदालत के कामकाज की अवधि से पहले और बाद में काम करना पड़ता है।

न्यायालय ने ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका, न्यायिक अधिकारियों के वेतन और कामकाज की परिस्थितियां पर दायर की गई थी।

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