देश की खबरें | ‘डीपफेक’ के खतरों की जांच के लिए केंद्र को समिति के सदस्य नामित करने का निर्देश
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को ‘डीपफेक’ के खतरों की जांच के लिए गठित समिति के सदस्यों को नामित करने का निर्देश दिया है।
नयी दिल्ली, 23 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को ‘डीपफेक’ के खतरों की जांच के लिए गठित समिति के सदस्यों को नामित करने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि ‘डीपफेक’ से जुड़े मसलों की जांच के लिए 20 नवंबर को एक समिति का गठन किया गया।
केंद्र सरकार ने कहा था कि वह ‘डीपफेक’ प्रौद्योगिकी से जुड़े मुद्दों से निपटने और इनका समाधान ढूंढ़ने के लिए सक्रिय रूप से उपाय कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने केंद्र सरकार को समिति के सदस्य एक हफ्ते के भीतर नामित करने का निर्देश दिया।
पीठ ने 21 नवंबर को पारित आदेश में कहा, “समिति याचिकाकर्ताओं की दलीलों की जांच करेगी और उन पर विचार करेगी। समिति यूरोपीय संघ (ईयू) सहित अन्य देशों में लागू विनियमों और कानूनी उपायों पर भी विचार करेगी।”
अदालत ने समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने से पहले कुछ हितधारकों, मसलन-मध्यवर्ती मंचों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, डीपफेक के पीड़ितों और डीपफेक तैयार करने वाली वेबसाइट के अनुभव एवं सुझाव आमंत्रित करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, “समिति जल्द से जल्द, अधिमानतः तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।” उसने मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 मार्च की तारीख निर्धारित की।
उच्च न्यायालय देश में डीपफेक तकनीक के गैर-नियमन और इसके संभावित दुरुपयोग के खतरे के खिलाफ दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) युक्त सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार या संपादित उन तस्वीरों, वीडियो और ऑडियो को ‘डीपफेक’ कहते हैं, जिसमें एक व्यक्ति की जगह किसी अन्य व्यक्ति की तस्वीर, चेहरे और शब्दों को इस तरह आरोपित कर दिया जाता है वह बिल्कुल वास्तविक लगे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि ‘डीपफेक’ के निर्माण, पहचान और उन्हें हटाने में देरी से बड़े पैमाने पर जनता को “अत्यधिक कठिनाइयों” का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि समिति को ‘डीपफेक’ पर उनके सुझावों पर विचार करना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने पहले केंद्र को निर्देश दिया था कि वह ‘डीपफेक’ तकनीक के बढ़ते खतरे का मुकाबला करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।
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