देश की खबरें | विपक्ष को ईवीएम पर सवाल उठाने के बजाय अपनी हार स्वीकार कर आत्मचिंतन करना चाहिए : बावनकुले

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नागपुर, 27 नवंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को कहा कि विपक्षी दलों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाने के बजाय विधानसभा चुनावों में अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए और आत्मचिंतन करना चाहिए।

बावनकुले ने यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि विपक्ष ईवीएम के मुद्दे पर झूठ बोल रहा है।

विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) के घटक दलों ने चुनाव के दौरान ईवीएम में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। इस संदर्भ में बावनकुले ने सवाल किया कि जब इस साल लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था तब उन्होंने ईवीएम पर सवाल क्यों नहीं उठाया।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘कांग्रेस ने नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की है; तो क्या नांदेड में ईवीएम सही थी?’’

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ये सब सिर्फ झूठ है...उन्हें अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए और आत्मचिंतन करना चाहिए। हमने लोकसभा चुनाव (महाराष्ट्र में) हारने के बाद आत्मचिंतन किया और आगे बढ़े। हमने बूथ स्तर पर काम किया और लोगों से मिले। इस बार (विधानसभा चुनावों में) हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है।’’

उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उबाठा), शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) और कांग्रेस के घटक वाले एमवीए ने आम चुनावों में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीट में से 30 पर जीत दर्ज की थी और बाद में कांग्रेस के एक बागी ने जीत के बाद गठबंधन को समर्थन दिया था।

महाराष्ट्र विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के घटक वाले सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने 288 सदस्यीय सदन में 230 सीट पर जीत दर्ज की जबकि एमवीए को केवल 46 सीट ही मिल सकीं।

बावनकुले की यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय द्वारा देश में मतपत्रों से दोबारा चुनाव कराने के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज किए जाने एक दिन बाद आई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप तभी उठते हैं जब लोग चुनाव हार जाते हैं।

महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के बारे में पूछे जाने पर बावनकुले ने कहा, ‘‘गठबंधन सरकार में ऐसी चीजों में समय लगता है क्योंकि मंत्री पद, विभाग और संरक्षक मंत्री जैसे कई कारकों को ध्यान में रखना होता है और निर्णय लेना होता है।’’

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