देश की खबरें | वैश्विक सभ्यता में भारत का योगदान उल्लेखनीय: त्रिनिदाद एवं टोबैगो की राष्ट्रपति
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. त्रिनिदाद एवं टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने गणित, चिकित्सा और नौवहन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक सभ्यता में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
भुवनेश्वर, नौ जनवरी त्रिनिदाद एवं टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने गणित, चिकित्सा और नौवहन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक सभ्यता में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
कंगालू ने ‘18वें प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी), 2025 सम्मेलन’ को मुख्य अतिथि के रूप में डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘विश्व के विकास में भारत का योगदान उल्लेखनीय है। दुनिया का पहला विश्वविद्यालय 700 ईसा पूर्व तक्षशिला में स्थापित किया गया था।’’
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को चिकित्सा के प्राचीनतम ज्ञान के स्रोत के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। उन्होंने कहा कि नौवहन कला का जन्म लगभग 6,000 वर्ष पहले सिंधु नदी में हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘बीजगणित, त्रिकोणमिति और गणना भी सबसे पहले भारत में ही विकसित हुए थे।’’
कंगालू ने कहा कि इसके अलावा, भारत ऐसी नागरिक सभ्यता वाला पहला देश है जिसने अंकगणितीय गणनाओं में शून्य (0) चिह्न का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि शतरंज का खेल भी पूर्वी भारत में उत्पन्न हुआ था, जबकि व्यापक रूप से यह माना जाता है कि दशमलव प्रणाली का विकास भी भारत में ही हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘और भारत के सुश्रुत को व्यापक रूप से शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है।’’
कंगालू ने कहा कि भारत उन देशों में से एक है जिसने त्रिनिदाद एवं टोबैगो की 1962 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता के तुरंत बाद उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, भारत के साथ हमारे देश के संबंध उससे बहुत पहले से हैं। हमारा संबंध 1845 से है जब 225 भारतीयों को लेकर पहला पोत त्रिनिदाद एवं टोबैगो के तट पर पहुंचा था। त्रिनिदाद एवं टोबैगो उस समय ब्रिटिश उपनिवेश था।’’
त्रिनिदाद एवं टोबैगो की राष्ट्रपति ने कहा कि उसके बाद लगभग 72 वर्ष के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों एवं कई शहरों से 1,43,000 से अधिक भारतीय आए और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के सामाजिक, जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए नया आकार दिया।
कंगालू ने कहा, ‘‘यहां के लोग , परंपरा और आस्था के आधार पर विविध लोगों का आकर्षक संगम है और सभी एकजुट है।’’
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