भारत को वैश्विक तकनीकी बदलाव का नेतृत्व करने, भविष्य की नौकरियां सृजित करने की जरूरत: ओला संस्थापक
ओला संस्थापक भाविश अग्रवाल भारत को वर्तमान वैश्विक तकनीकी बदलाव में सबसे आगे रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके साथ ही उनका लक्ष्य देश में बड़ी संख्या में भविष्य की नौकरियों का सृजन करना भी है. इसके लिए वह एआई (कृत्रिम मेधा) पर भी जोर दे रहे हैं.
नयी दिल्ली, 25 अगस्त : ओला संस्थापक भाविश अग्रवाल भारत को वर्तमान वैश्विक तकनीकी बदलाव में सबसे आगे रखने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके साथ ही उनका लक्ष्य देश में बड़ी संख्या में भविष्य की नौकरियों का सृजन करना भी है. इसके लिए वह एआई (कृत्रिम मेधा) पर भी जोर दे रहे हैं. अग्रवाल ने यहां समाचार एजेंसी के मुख्यालय में पीटीआई संपादकों के साथ एक बातचीत में कहा कि निजी क्षेत्र को रोजगार सृजन का बड़ा काम करना है. इसके लिए एक सक्षम परिवेश बनाना और असंतुलन को ठीक करना सरकार की जिम्मेदारी है. अग्रवाल ने नयी ईवी नीति के माध्यम से टेस्ला सहित वैश्विक ईवी विनिर्माताओं को राजकोषीय प्रोत्साहन देने के सरकार के कदम का भी समर्थन किया और कहा कि भारत के लिए सभी प्रकार के निवेश को आकर्षित करना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि वैश्विक रूप से स्थापित कंपनी देश में ईवी परिवेश के विकास में मदद करेगी. समूह की नयी सूचीबद्ध इकाई ओला इलेक्ट्रिक का लक्ष्य भारत को वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) केंद्र बनाना है, लेकिन देश को अपनी जरूरतों के आधार पर खुद के लिए ईवी और ऊर्जा बदलाव की नीति बनानी होगी. दुनिया भारत के बिना एक टिकाऊ भविष्य हासिल नहीं कर सकती है. अग्रवाल ने कहा, ''वैश्विक प्रौद्योगिकी में बदलाव हो रहा है और एआई भविष्य की एक बहुत ही महत्वपूर्ण तकनीक है. हमें भारत में इस यात्रा का नेतृत्व करने की आवश्यकता है. यदि आप वर्तमान स्थिति को देखें,.
तो मुझे लगता है कि हम अभी भी किसी और के प्रौद्योगिकी प्रतिमानों को अपना रहे हैं, खासकर डिजिटल दुनिया में.'' उन्होंने कहा कि ओला समूह ने पिछले साल एआई स्टार्टअप 'क्रुट्रिम' की स्थापना क्यों की थी. उन्होंने कहा कि क्रुट्रिम में भारतीय डेटा पर आधारित एआई मॉडल बनाना है, जो भारतीय उपयोग के मामलों, भारतीय प्रतिमानों के लिए अधिक अनुकूल हो. उन्होंने कहा, ''हम अपने क्लाउड पर, अपनी चिप पर अपना खुद का एआई बना रहे हैं.'' भारत में इस समय दुनिया के डिजिटल डेटा का 20 प्रतिशत उत्पादन होता है. इसके बावजूद देश के पास डेटा का पूरा स्वामित्व नहीं है, क्योंकि 80 प्रतिशत डेटा बाहर संग्रहीत है. इस डेटा की मदद से एआई को तैयार किया जाता है और ''भारत में वापस लाया जाता है और हमें डॉलर में बेचा जाता है.'' यह भी पढ़ें : जम्मू-कश्मीर में SC-ST आरक्षण को खत्म करना चाहती है कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस: ओम प्रकाश राजभर
एआई के कारण नौकरी जाने की चिंताओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जब लोगों को डर था कि कंप्यूटर नौकरियां छीन लेंगे, तब आईटी बूम ने भारत में नौकरियां पैदा कीं और एआई एक ऐसा ही उपकरण है. अग्रवाल ने कहा, ''एआई किसी की जगह नहीं ले सकता. हो सकता है कि वह भविष्य कुछ दशकों दूर हो... हमें अभी उस भविष्य के बारे में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. हमें एक देश के रूप में यह देखने की आवश्यकता है कि एआई उत्पादकता को बढ़ाने जा रहा है. अगर हम इस सफर में शामिल नहीं हुए, तो हम पीछे रह जाएंगे.'' उन्होंने कहा कि भारत के लिए भविष्य की तकनीक में विशेषज्ञ बनना ही आगे का रास्ता है. उन्होंने कहा, ''भविष्य की तकनीकें अपने साथ भविष्य की नौकरियां, भविष्य की आपूर्ति श्रृंखलाएं लेकर आती हैं. अगर हम वैश्विक अगुवा हैं, हम भविष्य की तकनीकों को सबसे तेजी से अपनाने वाले बाजार हैं, तो भविष्य की नौकरियां भी भारत में सृजित, भविष्य की आपूर्ति श्रृंखलाएं भी भारत में बनेंगी. यही एकमात्र तरीका है.'' अग्रवाल ने कहा कि अगर हम अगर अतीत को बचाने की कोशिश करेंगे, तो प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाएंगे.