शहर में बढ़ती आबादी को देखते हुए आधुनिक अवसंरचना निर्माण एवं उनके रखरखाव के प्रयास जारी: मनोहर लाल खट्टर
सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्ष 2030 तक शहरों में रहने वालों की संख्या देश की कुल आबादी का 40 प्रतिशत होने का अनुमान है जिसे देखते हुए आधुनिक अवसंरचना निर्माण एवं उनका रखरखाव करना होगा और केंद्र सरकार इसके लिए प्रयासरत है.
नयी दिल्ली, 1 अगस्त : सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्ष 2030 तक शहरों में रहने वालों की संख्या देश की कुल आबादी का 40 प्रतिशत होने का अनुमान है जिसे देखते हुए आधुनिक अवसंरचना निर्माण एवं उनका रखरखाव करना होगा और केंद्र सरकार इसके लिए प्रयासरत है. आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए, इस मंत्रालय के प्रभारी मनोहर लाल खट्टर ने यह भी कहा कि 1992 में 74वां संविधान संशोधन कर कहा गया कि शहरी विकास राज्यों का विषय है और शहरी स्थानीय निकायों को 12वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 18 कार्यों को करने का अधिकार दिया. उन्होंने कहा कि इसीलिए निर्माण कार्य पूरा होने के बाद रखरखाव के लिए राज्य सरकारों को ध्यान देना चाहिए. उन्होंने उच्च सदन में मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि कई अपेक्षाएं की गईं हैं और प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए सुझााव भी दिए गए हैं. ‘‘अपेक्षाएं उनसे ही की जाती हैं जो काम करते हैं. जो काम नहीं करते, उनसे क्या अपेक्षा की जाएगी?’’
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले शहरी विकास पर उस तरह ध्यान नहीं दिया गया, जिस तरह दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बीते दस साल में इस क्षेत्र पर समुचित ध्यान दिया गया जिसकी वजह से उल्लेखनीय कार्य हुआ है तथा अपेक्षाओं के सकारात्मक परिणामों की वजह से ही नरेन्द्र मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आई है. उन्होंने कहा कि बजट में शहरी विकास मंत्रालय के लिए 85 हजार 576 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं और यह आवंटन ‘विकसित भारत’ का प्रधानमंत्री का सपना साकार करने में मददगार होगा. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के गठन के बाद पहली बैठक में ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन करोड़ आवास मकान बनाने की मंजूरी दी गई जिनमें से दो करोड़ आवास गांवों में और एक करोड़ आवास शहरों में बनाए जाने हैं. यह भी पढ़ें : सपा 2027 में होगी ‘सफा चट’, हम मांगेंगे ‘खटाखट’ वाले बॉण्ड का हिसाब : योगी
खट्टर ने कहा ‘‘बड़ी चुनौती जरूर है क्योंकि आज शहरों में संख्या बढ़ रही है. 2011 की जनगणना के अनुसार, कुल आबादी का 31.2 प्रतिशत भाग शहरों में निवास करता था और 2030 तक यह संख्या 40 प्रतिशत होने का अनुमान है. इसे देखते हुए आधुनिक अवसंरचना निर्माण एवं उनका रखरखाव करना होगा. निर्माण एक पक्ष है. रखरखाव दूसरा पक्ष है जिसमें राज्य सरकारों की भूमिका होती है. समुचित रखरखाव न होने पर दिक्कत होती है.’’ उन्होंने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत सभी सरकारों को पत्र लिखा गया और दिल्ली सरकार के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी हुए. उन्होंने (दिल्ली सरकार ने) 2017 में इसे लागू करने के लिए कहा था.
खट्टर ने कहा कि आवास के लिए बैंकों के माध्यम से मिले 29,000 आवेदन में से दिल्ली के 76 लोगों को ब्याज सब्सिडी के तौर पर 692 करोड़ रुपये दिए गए. पीएम आवास योजना के चार प्रखंडों में से अन्य किसी भी प्रखंड के तहत दिल्ली सरकार से कोई प्रस्ताव नहीं मिला अन्यथा उन्हें आवंटन मिलता. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अगर कोई मांग करती तो उसे अवश्य पूरा किया जाता लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्रीय सहायता ही नहीं मांगी. खट्टर ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने 2019 में अपनी ‘मुख्यमंत्री आवास योजना’ चलाई, लेकिन केंद्र से मदद नहीं मांगी.
खट्टर ने कहा कि 2004 से 2014 तक 38 हजार करोड़ रुपये का ही बजट सभी परियोजनाओं पर खर्च किया गया जबकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में दस साल में एक योजना में 50 हजार करोड़ से अधिक राशि खर्च की गई. उन्होंने कहा कि आवास की योजना में दस साल में आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की गई. उन्होंने कहा कि राज्यों की ओर से जितनी मांग की जाती है, वह उन्हें दी जाती है. खट्टर ने कहा कि समय के साथ कई परिवार गांवों से शहरों में आ गए. उन्होंने कहा कि गांवों में इन लोगों के पास जमीन या कच्चे घर थे उस पर पक्के मकान बनाने के लिए उन्हें लाभ दिया गया.
उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को घर के लिए 1.5 लाख रुपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है. उन्होंने कहा कि केवल घर देने तक ही सरकार सीमित नहीं रही बल्कि बिजली, पानी, राशन, गैस, घर के रखरखाव के लिए भी मदद की जाती है. उन्होंने शहरों में स्वच्छता और हरियाली के लिए महत्वपूर्ण कार्य को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा कहा कि सभी शहरों को 'कचरा मुक्त' बनाने के उद्देश्य के साथ साथ अपशिष्ट को धन में बदलने के प्रयास ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि 4,900 शहरी स्थानीय निकायों में जलापूर्ति सुनिश्चित करने और 500 अमृत शहरों में सीवरेज प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए काम जारी है.
खट्टर ने कहा कि हर घर, नल से जल योजना के तहत 2022-23 में 3.8 करोड़ परिवारों को कवर करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. वित्त मंत्री ने कहा कि हर घर, नल से जल की सुविधा 8.7 करोड़ घरों को देने का लक्ष्य है जिनमें से 5.5 करोड़ घरों को पिछले 2 वर्षों में ही नल का पानी उपलब्ध कराया गया था. उन्होंने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने जल निकासी मास्टर प्लान लागू नहीं किया. इसे लागू करने पर नालों-नालियों की सफाई व गाद निकालने का काम होता. उन्होंने कहा कि भवन निर्माण की अनुमति में बदलाव करने पर कार्रवाई न किए जाने तक समस्या का समाधान नहीं होगा. सड़कों के किनारे सामान बेचने वालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों ने कोविड के समय भीषण स्थिति का सामाना किया. उनके लिए स्वनिधि योजना लागू की गई जिसके तहत पहले चरण में 10,000 रूपये, उसे लौटाने पर 20,000 रुपये और फिर 50,000 रुपये की मदद उन्हें दी जाती है.
खट्टर ने बताया कि स्मार्ट शहर मिशन की 90 प्रतिशत योजनाएं पूरी हो चुकी हैं और इनके कार्यान्वयन पर एक लाख 64 हजार 223 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. शेष दस प्रतिशत योजनाओं के लिए 2400 करोड़ रुपये 25 मार्च 2025 तक खर्च किए जाने हैं. उन्होंने कहा कि शहरों का विकास और नए शहर बसाने का विषय राज्य सरकारों का है लेकिन बेहतर शहरों के प्रधानमंत्री लक्ष्य को देखते हुए केंद्र की ओर से राज्यों को अपेक्षित मदद दी जाती है.