विदेश की खबरें | दुनिया की भलाई के भ्रम में सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें साझा करते हैं कुछ लोग

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. वेस्टमिंस्टर, 18 जनवरी (द कन्वरसेशन) विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक गत दो साल से भ्रामक जानकारी नंबर एक खतरा है जिसका समाज सामना कर रहा है।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

वेस्टमिंस्टर, 18 जनवरी (द कन्वरसेशन) विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक गत दो साल से भ्रामक जानकारी नंबर एक खतरा है जिसका समाज सामना कर रहा है।

अमेरिका , ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में इस साल अहम चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में भ्रामक राजनीतिक सूचना की आशंका जताई जा सकती है।

इनमें से कुछ सामग्री सोशल मीडिया पर भुगतान किए गए विज्ञापन के माध्यम से प्रसारित की जाती है जैसे कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के तैयार ‘डीपफेक’ वीडियो प्रसारित किए जा रहे हैं। हालांकि, हम जानते हैं कि अधिकतर फर्जी सामग्री का प्रसार व्यक्तिगत सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के कारण होता है।

बहुत से लोग राजनीतिक समाचार ऑनलाइन साझा करते हैं। अनिवार्य रूप से उनमें से कुछ खबरें फर्जी होती हैं। आखिरकार, फर्जी राजनीतिक खबरें आम हैं। जब आप अपने सोशल मीडिया फीड पर स्क्रॉल करते हैं तो इसे देखना असामान्य नहीं है।

फर्जी खबरें फैलने का एक मुख्य तरीका यह है कि लोग इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करते हैं। कुछ लोग वास्तव में कहानी को सच मानते हैं और गलती से इसे साझा करते हैं। हमने पाया है कि लगभग 20 प्रतिशत लोगों ने जानकारी दी है कि उन्होंने एक ‘स्टोरी’ साझा की है, बाद में उन्हें पता चला कि वह झूठी थी।

हालांकि, अन्य शोधकर्ताओं की तरह, हमने यह भी पाया है कि लगभग 10 में से एक व्यक्ति राजनीतिक जानकारी साझा करने की बात स्वीकार करता है जिसके बारे में उन्हें उस समय पता था कि वह झूठी थी।

लोग जानबूझकर क्यों झूठ फैलाते हैं ? क्या वे जानबूझकर नुकसान पहुंचाना चाहते हैं? या क्या वे शायद सोचते हैं कि इसे फैलाना स्वीकार्य है क्योंकि यह उन विचारों का समर्थन करता है जो वे दृढ़ता से रखते हैं और ‘सच भी हो सकते हैं’? मतलब अच्छा, मतलब बुरा।

केवल एक छोटा वर्ग ही गलत जानकारी साझा करता हैं, लेकिन सोशल मीडिया मंच के वृहद उपयोगकर्ता आधार को देखते हुए इससे भी फर्जी जानकारी जंगल की आग की तरह फैल सकती है। इससे लोगों के लिए उन खबरों को प्राप्त करना कठिन हो जाता है जिन पर वे भरोसा कर सकते हैं और लोगों को उन चीजों पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है जो सच नहीं हैं।

हमारे शोध में खुलासा हुआ कि कुछ लोगों ने फर्जी जानकारी साझा की क्योंकि उन्हें लगा कि वे मजेदार थीं (उदाहरण के लिए एक ने इसलिए साझा किया क्योंकि उसे लगा कि यह ‘हास्यास्पद’ थी)। अन्य लोगों ने विशेष रूप से यह उजागर करने के लिए गलत सूचना साझा की कि यह झूठी थी। अन्य ने यह सुझाव देकर अपने द्वारा किए जा रहे नुकसान को कमतर कर दिया कि यदि उन्होंने फर्जी समाचार साझा किया तो यह वास्तव में उतना गंभीर नहीं था।

हमारे शोध में खुलासा हुआ कि जब फर्जी खबरों की बात आती है तो कुछ लोग असामाजिक तरीके से व्यवहार करते हैं, जानबूझकर किसी व्यक्तिगत उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए गलत जानकारी साझा करते हैं, भले ही इसका मतलब अन्य लोगों पर हमला करना या उनके कथन में हेरफेर करने की कोशिश करना हो।

इस तरह से झूठी जानकारी का उपयोग लोगों के राजनीतिक विचारों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है, चाहे किसी राजनेता के खिलाफ बदनामी अभियान का समर्थन करना हो या किसी राजनेता का दबदबा बढ़ाना हो।

इन कारणों की वजह से ऐसा प्रतीत होता है कि लोग इस बात की परवाह नहीं करते कि खबर सच्ची है या झूठी और यहां तक वे हेरफेर करने के लिए ऐसी खबरों को साझा करते हैं। ये लोग उनके कृत्यों के नुकसान को लेकर बहुत कम विचार करते हैं।

इसके विपरीत कुछ लोग राजनीतिक खबरों को फिर चाहे वे सच्ची हों या झूठी अच्छी मंशा से करते हैं। वे फर्जी खबरों को साझा करने को दुनिया को बेहतर बनाने के तरीके के तौर पर देखते हैं।

खबरों को साझा करने की ‘अच्छी’ मंशा अन्य की रक्षा करने (उदाहरण के लिए संभावित खतरों के प्रति आगाह करना), लोगों को ‘सही जानकारी के लिए प्रेरित करने’ या यहां तक सामाजिक और राजनीतिक रूप से जोड़ने में झलक सकती है।

अन्य लोग खबरों को इस अच्छी मंशा यह बताने के लिए साझा कर सकते हैं कि उक्त खबर झूठी है। हालांकि, एक विरोधाभास है कि इस अच्छी मंशा के बावजूद फर्जी खबर और तेजी से फैल सकती है।

फर्जी खबरों से कैसे निपटें

लोग तब कड़ी प्रतिक्रिया कर सकते हैं जब वे देखे कि उनका कोई मित्र या परिवार का सदस्य ऐसी सामग्री साझा कर रहा है जो वे जानते हैं कि झूठी है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि भ्रामक सूचना नकारात्मक भावना से ओतप्रोत होती है और हमारी नैतिकता को प्रभावित करती है। यह वे कहानियां हैं जो हमें भावुक बनाती हैं (उदाहरण के लिए हमें डराकर) वो सबसे पहले वायरल होती हैं।

हालांकि, अगली बार जब आप किसी को ऐसी सूचना साझा करते हुए देखते हैं जिसके बारे में आप जानते हैं कि वह झूठी है, और आप उनसे आक्रोशित होकर बात करें या उन्हें ब्लॉक करने के बारे में सोचते हैं, तो याद रखें कि वे इस बात से अनजान हो सकते हैं कि वे नुकसान कर रहे थे और शायद ऐसा कर अच्छा करने की भी कोशिश कर रहे हों।

ऐसा हो सकता है कि वे केवल अपने बारे में सोचते हों लेकिन यह भी हो सकता है कि उन्होंने सूचना साझा यह सोचकर की हो कि इससे औरों को भी लाभ होगा।

फर्जी जानकारी भले ही अच्छी मंशा से साझा किया गया हो लेकिन इसके असर साझा करने के लोगों के व्यक्तिगत लक्ष्यों से परे हो सकते हैं।

इस खतरे को कम करने और भ्रामक सूचना के खिलाफ लड़ाई में सहयोग का एक तरीका यह है कि उस दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए जिसमें बताया गया है कि कैसे फर्जी खबर की जानकारी दी जाए, उदाहरण के लिए मंच पर उक्त खबर को फर्जी इंगित करने की।

यदि आप खुद किसी कारण से ऐसी सामग्री साझा करना चाहते हैं जो फर्जी हो सकती है तो अपना संदेश पहुंचाने के अन्य तरीके ढूंढना सबसे अच्छा है।

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