देश की खबरें | मणिपुर में आईएलपी व्यवस्था लागू करना केंद्र का महत्वपूर्ण कदम है: मुख्यमंत्री

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि 1972 में मणिपुर को राज्य का दर्जा मिलने के बाद 2019 में प्रदेश में ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) व्यवस्था को लागू करना केंद्र का सबसे महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है।

इंफाल, नौ दिसंबर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि 1972 में मणिपुर को राज्य का दर्जा मिलने के बाद 2019 में प्रदेश में ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) व्यवस्था को लागू करना केंद्र का सबसे महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है।

सिंह ने यह भी कहा कि आईएलपी जारी करने से शुल्क के रूप में राज्य को 13 से 14 करोड़ रुपये का कर राजस्व प्राप्त हुआ है।

मणिपुर में 2019 में आईएलपी व्यवस्था लागू की गई थी और अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड तथा मिजोरम के बाद इस तरह की व्यवस्था वाला यह चौथा राज्य है। आईएलपी-व्यवस्था वाले राज्यों में जाने के लिए देश के अन्य राज्यों के लोगों सहित विदेशियों को अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।

सिंह ने कहा, ‘‘आज हम राज्य में आईएलपी व्यवस्था लागू कराने के लिए किए गए संघर्षों और बलिदानों को याद कर रहे हैं। साल 1972 में राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद आईएलपी व्यवस्था को प्रदेश में लागू करना केंद्र सरकार का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है।’’

मणिपुर को 21 जनवरी 1972 को राज्य का दर्जा मिला।

सिंह ने कहा, ‘‘आज, कई लोग भूल गए हैं कि आईएलपी जारी करने का अधिकार हमें लंबे संघर्ष के बाद मिला। हम 70 से 80 प्रतिशत तक केंद्र से मिलने वाली सहायता पर निर्भर हैं। फिर भी, आईएलपी जारी करने का अधिकार हमें केंद्र द्वारा दिया गया। यह बेहद दुर्लभ है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य में आईएलपी आंदोलन के दौरान पुलिस कार्रवाई में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।

सिंह ने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, अन्य मंत्रियों और सांसदों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने राज्य में आईएलपी व्यवस्था लागू कराने का मार्ग प्रशस्त किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह मणिपुर में मूल निवासियों की सुरक्षा की शुरुआत है। सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, हमें पिछले चार-पांच वर्षों में लगभग 13 या 14 करोड़ रुपये का राजस्व (आईएलपी जारी करके) प्राप्त हुआ। यहां तक की, कोविड काल और मौजूदा संकट के दौरान भी राजस्व प्राप्त हुआ।’’

उन्होंने कहा कि मेघालय सहित कई अन्य राज्य आईएलपी की मांग कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पांच साल पहले आईएलपी लागू किया गया था, लेकिन इसके कार्यान्वयन को लेकर अधिकारियों ने ईमानदारी से काम नहीं किया, चाहे जानबूझकर या अनजाने में।

मुख्यमंत्री सिंह ने सोमवार को ही ऑनलाइन माध्यम से कामजोंग जिले के कासोम खुल्लेन में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी) के भवन का उद्घाटन किया।

सिंह ने कहा, ‘‘राज्य सरकार हमेशा अपने लोगों के हित के लिए काम करती रही है और समावेशी विकास लाने से राज्य के हर कोने में रहने वाले लोगों के बीच संबंध मजबूत होंगे।’’

नए भवन के बारे में सिंह ने कहा, ‘‘इसका निर्माण लगभग 5.61 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और वित्तीय बाधाओं के बावजूद सरकार शिक्षा क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दे रही है।’’

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