ताजा खबरें | राज्यसभा में सभापति के व्यवस्था देने के बावजूद मुझे मुद्दा नहीं उठाने दिया गया : खरगे
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को इस बात पर कड़ा विरोध दर्ज कराया कि सभापति जगदीप धनखड़ की इस व्यवस्था के बावजूद उन्हें दो दिन पहले एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बोलने नहीं दिया गया कि वह और कुछ अन्य वरिष्ठ सदस्य सदन में कभी भी अपनी बात रख सकते हैं।
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को इस बात पर कड़ा विरोध दर्ज कराया कि सभापति जगदीप धनखड़ की इस व्यवस्था के बावजूद उन्हें दो दिन पहले एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बोलने नहीं दिया गया कि वह और कुछ अन्य वरिष्ठ सदस्य सदन में कभी भी अपनी बात रख सकते हैं।
सदन की बैठक शुरू होने पर खरगे ने कहा कि उन्हें एक स्पष्टीकरण देना जरूरी है क्योंकि पिछले दिनों वह चीनी अतिक्रमण का मुद्दा उठाना चाह रहे थे और उच्च सदन के कई सदस्य भी इस पर चर्चा चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सेना बहादुरी के साथ स्थिति का मुकाबला कर रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा यह बेहद गंभीर मुद्दा है और पूरे देश व दुनिया की निगाहें इस पर लगी है।’’
खरगे ने कहा कि विपक्ष का नेता होने के नाते इस मुद्दे पर सांसदों की भावनाओं के साथ खड़ा होना और तत्काल कदम उठाने की मांग करना, उनकी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसी कारण 14 दिसंबर 2022 को मैंने सदन में इस मसले पर हस्तक्षेप किया। आसन पर उपसभापति थे। आपने कहा कि मैं इस मामले को इसलिए नहीं उठा सकता क्योंकि इस बारे में मैंने कोई नोटिस नहीं दिया है। मीडिया के एक हिस्से में यह बात इस तरह पेश की गयी कि जैसे मुझे नोटिस ना देने के कारण टोका गया। यह हकीकत से दूर है। इससे मुझे तकलीफ भी पहुंची है।’’
विपक्ष के नेता ने नौ दिसंबर 2022 को सभापति (जगदीप धनखड़) की ओर से सदन में की गई एक टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि यदि सदन के नेता, विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं एच डी देवेगौड़ा बोलने के लिए खड़े होते हैं तो वह नियम पुस्तिका नहीं देखेंगे।
खरगे ने कहा, ‘‘मैंने सभापति की इस बात को एक वायदे के रूप में ग्रहण किया और महसूस किया कि ये पूरे सदन के लिए निर्देश है। इसलिए मैंने इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहा था। लेकिन मुझे अनुमति नहीं मिली।’’
उन्होंने उपसभापति से पूछा कि सभापति ने जो कहा था, उसके अनुरूप उन्हें उस दिन क्यों नहीं बोलने दिया गया?
उन्होंने कहा, ‘‘यह तो देश से जुड़ा हुआ मामला है। देश की रक्षा के लिए और सारे सदन के सदस्यों की भावना को देखते हुए मैं खड़ा हुआ था।’’
इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि विपक्ष के नेता का सम्मान करते हुए और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे को देखकर वह बाद में प्रतिक्रिया देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक नोटिस की बात है, तो मैंने विपक्ष के नेता को वह नोटिस पूरा पढ़ने का मौका दिया, जो आसन की ओर से चर्चा के लिए स्वीकृत नहीं था... आप जब भी खड़े हुए, आपको मौका दिया है। आपके प्रति पूरा सम्मान है।’’
हरिवंश ने यह भी कहा कि वह रिकॉर्ड देखेंगे और सदन को सूचित करेंगे। उन्होंने कहा कि सदन के नेता, विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्रियों के प्रति सभापति की भावना को ध्यान में रखते हुए वह खरगे को हमेशा मौका देते हैं। उन्होंने कहा ‘‘मेरा आपसे यह अनुरोध है कि आपको रिकॉर्ड देखना चाहिए कि मैंने आपको वह नोटिस पढ़ने का मौका दिया जिसे चर्चा के लिए स्वीकार नहीं किया गया था।’’
उपसभापति ने कहा कि उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई घटना पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर स्पष्टीकरण पूछने की अनुमति, ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर पूर्व की व्यवस्था के आधार पर नहीं दी।
उन्होंने कहा ‘‘मैंने राज्यसभा के पहले घटनाक्रमों का हवाला दिया जब ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई थी।’’ उन्होंने कहा कि वह तारीखवार ब्यौरा देंगे।
उन्होंने खरगे से कहा ‘‘जब भी आप अपनी बात कहने के लिए खड़े हुए, आपको अनुमति दी जाती है। आसन की ओर से आपको पूरा सम्मान दिया जाता है।’’
राज्यसभा की वेबसाइट के वाद-विवाद संवर्ग (डिबेट सेक्शन) के असंशोधित वाद-विवाद खंड के अनुसार, खरगे ने 14 दिसंबर को कहा था कि उनकी पार्टी ने उस दिन और उससे पहले वाले दिन अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों के अतिक्रमण का मुद्दा उठाने और उस पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था।
इस पर सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे उपसभापति हरिवंश ने कहा था ‘‘आज इस पर कोई नोटिस नहीं है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)