देश की खबरें | न्याय मिलने का भरोसा है: सिद्धरमैया ने याचिका पर सुनवायी पूरी होने के बाद कहा
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बेंगलुरु, 13 सितंबर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा उनकी एक याचिका पर सुनवाई पूरी किए जाने के पश्चात फैसला सुरक्षित रख लेने के एक दिन बाद शुक्रवार को कहा कि उन्हें न्याय मिलने का भरोसा है क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
सिद्धरमैया की उक्त याचिका में मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले में उनके खिलाफ अभियोग चलाने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी की वैधता को चुनौती दी गई है।
उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा कि वह भविष्य में भी कोई गलत काम नहीं करेंगे और उनका जीवन एक खुली किताब है। सिद्धरमैया पर मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा उनकी पत्नी को 14 भूखंडों के आवंटन में अनियमितता का आरोप लगाया गया है।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘...उन्हें (विपक्ष को) झूठ बोलने दीजिए, हम इसकी परवाह नहीं करेंगे। वे मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं। मैं देश के कानून का सम्मान करता हूं, मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं, मुझे न्याय मिलने का भरोसा है, क्योंकि मैंने कोई गलत काम नहीं किया है।’’
शहर के बाहरी इलाके मगदी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कोई गलत काम नहीं किया है और न ही भविष्य में करूंगा। मुझे पहली बार 40 साल पहले मंत्री बना था, मेरा जीवन एक खुली किताब है, मैं यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि कोई भी इसे खोलकर देख सकता है।’’
अदालत ने 19 अगस्त के अपने उस अंतरिम आदेश की अवधि भी बृहस्पतिवार को आगे बढ़ा दी, जिसमें विशेष जनप्रतिनिधि अदालत को निर्देश दिया गया था कि वह सिद्धरमैया के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई को इस याचिका के निपटारे तक टाल दे।
राज्यपाल ने प्रदीप कुमार एस.पी., टी.जे. अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।
सिद्धरमैया ने 19 अगस्त को राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
एमयूडीए 'घोटाले' में, यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धरमैया की पत्नी बी एम पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में मुआवजा प्लॉट आवंटित किया गया था, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी भूमि की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए द्वारा "अधिग्रहित" किया गया था।
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले में 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां एमयूडीए ने एक आवासीय योजना विकसित की थी।
विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने आवासीय योजना बनाने के लिए उनसे अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले में भूमि गंवाने वालों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की। कुछ विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यह भी दावा किया है कि पार्वती के पास इस 3.16 एकड़ भूमि पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था।
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