देश की खबरें | हैदराबाद मुठभेड़ : उच्चतम न्यायालय ने जांच आयोग को रिपोर्ट पेश करने के लिए छह माह और दिये

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के चार आरोपियों की मुठभेड़ में मौत की परिस्थितियों पर अंतिम रिपोर्ट दायर करने के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी. एस. सिरपुरकर की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय जांच आयोग को उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को छह महीने का और समय दिया है।

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के चार आरोपियों की मुठभेड़ में मौत की परिस्थितियों पर अंतिम रिपोर्ट दायर करने के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी. एस. सिरपुरकर की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय जांच आयोग को उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को छह महीने का और समय दिया है।

आयोग में शामिल अन्य सदस्यों में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदुर बलदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी. आर. कार्तिकेयन हैं।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे छह महीने और बढ़ाएंगे।’’

पीठ ने आयोग की तरफ से दायर याचिका पर गौर किया जिसमें मामले में रिपोर्ट दायर करने के लिए कुछ समय और मांगा गया था।

12 दिसंबर 2019 को आयोग का गठन होने के बाद दूसरी बार शीर्ष अदालत ने अंतिम रिपोर्ट दायर करने के लिए उसे छह महीने का और समय दिया है।

शीर्ष अदालत ने अंतिम रिपोर्ट दायर करने के लिए आयोग को 24 जुलाई 2020 को छह महीने का समय विस्तार दिया था।

मुठभेड़ की परिस्थितियों की जांच करने के लिए शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी. एस. सिरपुरकर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था।

चारों आरोपी हैदराबाद के नजदीक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर मार गिराए गए थे। इसी राजमार्ग पर 27 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव पाया गया था।

पुलिस ने दावा किया था कि 27 नवंबर 2019 को महिला पशु चिकित्सक का अपहरण किया गया, उसका यौन उत्पीड़न किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई।

इसने कहा था कि आरोपियों ने इसके बाद महिला का शव जला दिया था।

उच्चतम न्यायालय में दायर दो अलग-अलग याचिकाओं में दावा किया गया कि कथित मुठभेड़ ‘‘फर्जी’’ थी और घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।

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