विदेश की खबरें | इंसान जल्द ही चंद्रमा पर खनन कार्य कर सकेंगे, पर क्या हमें ऐसा करना चाहिए?

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. मेलबर्न, 31 दिसंबर (द कन्वरसेशन) इस दशक के अंत तक, विभिन्न देश और निजी कंपनियां संभवतः चंद्रमा की सतह पर खनन कार्य कर रही होंगी।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

मेलबर्न, 31 दिसंबर (द कन्वरसेशन) इस दशक के अंत तक, विभिन्न देश और निजी कंपनियां संभवतः चंद्रमा की सतह पर खनन कार्य कर रही होंगी।

लेकिन जैसे-जैसे अंतरिक्ष तक ज्यादा से ज्यादा देशों और कंपनियों की पहुंच होती जाएगी, हमें रुककर स्वयं से यह पूछना होगा कि हमे चंद्रमा के साथ साथ और कहां, किन वाणिज्यिक गतिविधियों की अनुमति देनी चाहिए।

अब समय आ गया है कि ऐसे नियम बनाए जाएं जो अंतरिक्ष में मानवता के साझा भविष्य की रक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि चंद्रमा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रतीक और प्रेरणा बना रहे।

1. चांद पर खनन क्यों?

नासा का अरबों डॉलर का ‘आर्टेमिस’ कार्यक्रम सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजने को लेकर नहीं है। यह खनन कार्यों के लिए रास्ता बनाने को लेकर भी है। चीन भी इसी राह पर है।

इस सबने एक नई ‘चंद्र दौड़’ शुरू कर दी है, जिसमें निजी कंपनियां यह पता लगाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं कि चंद्रमा के संसाधनों को कैसे निकाला जाए और इसे ब्रह्मांडीय आपूर्ति श्रृंखला में सरकारों को बेचा जाए।

फिलहाल, अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए सभी सामग्रियां पृथ्वी से भेजी जाती हैं, जिससे पानी और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुएं अत्यधिक महंगी हो जाती हैं।

जब एक लीटर पानी चंद्रमा पर पहुंचता है तो उसकी कीमत सोने से भी अधिक हो जाती है।

लेकिन चंद्रमा पर मौजूद पानी की बर्फ को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदलकर हम अंतरिक्ष यान में ईंधन भर सकते हैं। इससे अंतरिक्ष की गहराई में जाने वाली यात्राएं, खास तौर पर मंगल ग्रह पर जाने वाली यात्राएं कहीं ज़्यादा संभव हो सकती हैं।

चंद्रमा पर पृथ्वी में काम आने वाली दुर्लभ धातुओं का भंडार है जो स्मार्टफोन जैसी प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक है। इसका अर्थ यह भी है कि चंद्रमा पर खनन से पृथ्वी के घटते भंडार पर दबाव कम हो सकता है।

निजी कंपनियां अंतरिक्ष एजेंसियों को मात दे सकती हैं। नासा द्वारा अपना अगला अंतरिक्ष यात्री उतारने से पहले ही कोई स्टार्टअप चंद्रमा पर खनन कार्य शुरू कर सकता है।

2. क्या खनन से पृथ्वी से चंद्रमा को देखने का हमारा नजरिया बदल सकता है?

जब चंद्रमा से सामग्री निकाली जाएगी, तो धूल उड़ेगी। इसे दबाने के लिए उचित वातावरण नहीं होने से यह धूल बहुत दूर तक जा सकती है।

चांद पर धूल निकलेगी तो उसके वह हिस्से अधिक चमकीले दिख सकते हैं जहां से धूल हटी है जबकि वह हिस्से धूसर दिख सकते हैं जहां धूल आकर बैठी है।

यहां तक कि छोटे पैमाने पर किए गए अभियान भी इतनी धूल पैदा कर सकते हैं कि समय के साथ दृश्य परिवर्तन हो जाए।

स्थायी और न्यूनतम विघटनकारी खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए चंद्रमा की धूल का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कारक होगा।

3. चंद्रमा का मालिक कौन है?

बाहरी अंतरिक्ष संधि (1967) यह स्पष्ट करती है कि कोई भी देश चंद्रमा पर अपना “स्वामित्व” होने का दावा नहीं कर सकता है।

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि चंद्रमा से संसाधन निकालने वाली कंपनी इस गैर-विनियोग प्रावधान का उल्लंघन करती है या नहीं।

बाद में हुए दो समझौतों में इस मुद्दे को उठाया गया है।

साल 1979 की चंद्रमा संधि में चांद और उसके प्राकृतिक संसाधनों को “मानव जाति की साझा विरासत” बताया गया है। इसे अक्सर चांद पर वाणिज्यिक खनन पर स्पष्ट प्रतिबंध के रूप में समझा जाता है।

हालांकि, 2020 के ‘आर्टेमिस’ समझौते में खनन की अनुमति दी गई है, साथ ही बाह्य अंतरिक्ष संधि में चंद्रमा पर स्वामित्व के किसी भी दावे को अस्वीकार करने की पुष्टि की गई है।

4. चांद पर खनिकों का जीवन कैसा होगा?

कल्पना कीजिए कि आपने लगातार 12 घंटे गर्म और गंदे वातावरण में काम किया है। आपके अंदर पानी की कमी हो गई है तथा आप भूखे भी हैं। आपके कुछ सहकर्मी थकावट के कारण बेहोश हो गए हैं या घायल हो गए हैं। आप सभी चाहते हैं कि आपको अच्छे सुरक्षा मानकों, उचित वेतन और उचित कार्य घंटों वाली कोई दूसरी नौकरी मिल जाए। लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि आप अंतरिक्ष में फंस गए हैं।

यह निराशाजनक दृष्टिकोण, श्रमिकों के लिए जोखिम का समाधान किए बिना, चंद्र पर खनन कार्रवाई करने में जल्दबाजी के संभावित खतरों को उजागर करते हैं।

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