पालघर घटना की स्वतंत्र जांच के लिये याचिका पर उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब
न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयां ने सरकार को अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका के जवाब में 22 मई तक अपना हलफनामा दाखिल करने और 16 अप्रैल की इस घटना की अपनी जांच का ब्योरा सौंपने का भी निर्देश दिया।
मुंबई, 30 अप्रैल बंबई उच्च न्यायालय ने पालघर में भीड़ द्वारा तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर देने की घटना की सीबीआई या विशेष जांच टीम (एसआईटी) जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग करने वाली एक याचिका पर बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयां ने सरकार को अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका के जवाब में 22 मई तक अपना हलफनामा दाखिल करने और 16 अप्रैल की इस घटना की अपनी जांच का ब्योरा सौंपने का भी निर्देश दिया।
इस घटना में दो साधुओं और उनके कार चालक की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से जांच की निगरानी करने और जांच एजेंसी से समय-समय पर रिपोर्ट मांगने का भी अनुरोध किया।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि मामले की सुनवाई में तेजी लाई जाए। साथ ही, चालक के परिवार के लिये मुआवजे का भी अनुरोध किया गया है।
यह घटना 16 अप्रैल की रात हुई थी, जब तीन लोग एक अंत्येष्टि में शामिल होने के लिये एक कार से मुंबई से सूरत जा रहे थे।
पालघर जिले के एक गांव में उनकी कार को भीड़ ने रोक लिया और बच्चा चोर होने के संदेह में कार में सवार तीनों लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी।
याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस मामले में फिलहाल 101 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह मामला स्थानीय पुलिस से अब राज्य सीआईडी को सौंप दिया गया है।
सरकार ने कर्तव्य में कथित तौर पर लापरवाही बरतने को लेकर पांच पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया।
याचिका में कहा गया है कि यह भी आरोप है कि मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने इस घटना में पीड़ितों की मदद नहीं की।
याचिका में यह भी कहा गया है कि इस घटना ने समाज की सामूहिक अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)