देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने अवसाद ग्रस्त विधवा को 29 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने अवसाद ग्रस्त एक विधवा को 29 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी और कहा कि गर्भावस्था जारी रखना उसके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
नयी दिल्ली, पांच जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने अवसाद ग्रस्त एक विधवा को 29 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी और कहा कि गर्भावस्था जारी रखना उसके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि प्रजनन के विकल्प के अधिकार में प्रजनन न करने का अधिकार भी शामिल है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला की वैवाहिक स्थिति में बदलाव आया है। उसके पति की मृत्य 19 अक्टूबर 2023 को हो गई थी और उसे अपने गर्भवती होने की जानकारी 31 अक्टूबर 2023 हो हुई।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि महिला को गर्भ गिराने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि इसे जारी रखने से उसकी मानसिक स्थिति खराब हो सकती है क्योंकि उसमें आत्महत्या की प्रवत्ति दिखाई दी है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,‘‘याचिकाकर्ता (महिला) को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में गर्भपात की प्रक्रिया कराने की अनुमति दी जाती है। हालांकि याचिकाकर्ता ने 24 सप्ताह की गर्भधारण अवधि पार कर ली है, एम्स से यह प्रक्रिया पूरी करने का अनुरोध किया जाता है।’’
अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि ये आदेश इस मामले के खास तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं अत: इसे नजीर के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का जिक्र किया, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह प्रत्येक महिला का अधिकार है कि वह अपने जीवन का मूल्यांकन करे और वैवाहिक स्थिति में किसी प्रकार का बदलाव होने की सूरत में उचित निर्णय ले।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘...प्रजनन के विकल्प के अधिकार में जन्म नहीं देने का अधिकार भी शामिल है।’’
महिला का विवाह फरवरी 2023 में हुआ था और अक्टूबर में उसने अपने पति को खो दिया, इसके बाद वह अपने मायके आ गई और वहां उसे पता चला कि उसे 20 सप्ताह का गर्भ है।
महिला ने दिसंबर माह में यह निर्णय लिया कि वह गर्भावस्था जारी नहीं रखेगी क्योंकि वह अपने पति की मौत से गहरे सदमे में है। उसके बाद उसने चिकित्सकों से संपर्क किया। गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से अधिक हो जाने के कारण उसे गर्भपात की अनुमति नहीं दी गई।
इसके बाद, महिला ने न्यायालय का रुख किया और चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया।
महिला की मानसिक स्थिति का पता लगाने के लिए एक चिकित्सकीय बोर्ड का गठन किया गया। एम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महिला अवसाद ग्रस्त पाई गई है।
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