देश की खबरें | गिरफ्तारी से संरक्षण के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर अदालत ने न्यूजक्लिक संस्थापक का रुख पूछा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ से शहर पुलिस की उस याचिका पर उनका रुख पूछा, जिसमें कथित गैरकानूनी विदेशी धन मिलने के मामले में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने के पहले के आदेश को रद्द करने की अपील की गई थी।

नयी दिल्ली, 22 अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ से शहर पुलिस की उस याचिका पर उनका रुख पूछा, जिसमें कथित गैरकानूनी विदेशी धन मिलने के मामले में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने के पहले के आदेश को रद्द करने की अपील की गई थी।

न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने 2021 के एक अंतरिम आदेश को रद्द करने की दिल्ली पुलिस की याचिका पर नोटिस जारी किया और पुरकायस्थ को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने 7 जुलाई, 2021 को पुरकायस्थ को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था और उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था।

पुलिस आवेदन, मामले में अग्रिम जमानत मांगने की पुरकायस्थ की याचिका पर जारी प्रक्रिया का हिस्सा है।

दिल्ली पुलिस के वकील ने इस मामले में कहा कि न्यूजक्लिक को मौजूदा कानून तोड़ते हुए भारत में समाचारों के प्रसारण के लिए विदेशी धन मिला और जांच में अपराध की बात सामने आई है।

एजेंसी ने अपने आवेदन में कहा कि इस तरह के गंभीर मामले में गिरफ्तारी पूर्व जमानत से संरक्षण अपेक्षित नहीं है।

आवेदन में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ताओं/आरोपियों ने, विदेश में स्थित अपने साथियों के साथ साजिश करते हुए, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के रूप में प्राप्त धन को छिपाकर, अपने विदेश में बसे संरक्षकों से प्राप्त निर्देशों के अनुसार गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन प्राप्त करने की एक कपटपूर्ण योजना तैयार की।’’

अदालत ने न्यूजक्लिक के निदेशक प्रांजल पांडे को भी गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण के खिलाफ दिल्ली पुलिस की इसी तरह की याचिका पर नोटिस जारी किया।

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि कंपनी पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान मैसर्स वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी यूएसए से 9.59 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) कानून का उल्लंघन करते हुए प्राप्त किया था।

प्राथमिकी में आरोप है कि एक डिजिटल समाचार वेबसाइट में एफडीआई की 26 प्रतिशत की सीमा से बचने के लिए कंपनी के शेयरों का मूल्य बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर निवेश किया गया।

मामले में अगली सुनवाई सितंबर में होगी।

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