गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत की परिकल्पना ज्ञान के प्रमुख स्रोत के तौर पर की थी: राष्ट्रपति मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत की परिकल्पना वैश्विक क्षेत्र में ज्ञान के एक प्रमुख स्रोत के रूप में की थी. राष्ट्रपति मुर्मू विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं जिसकी स्थापना एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी.
शांतिनिकेतन, 28 मार्च : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने मंगलवार को कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत की परिकल्पना वैश्विक क्षेत्र में ज्ञान के एक प्रमुख स्रोत के रूप में की थी. राष्ट्रपति मुर्मू विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं जिसकी स्थापना एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी.
केंद्रीय विश्वविद्यालय की विजिटर मुर्मू ने यह भी कहा कि हालांकि उन्हें कई शिक्षण और प्रतिष्ठित संस्थानों का दौरा करने का सौभाग्य मिला है, लेकिन विश्व भारती का उनका पहला दौरा बहुत खास है क्योंकि यह दुनिया के सबसे महान विचारकों में से एक की स्मृति से जुड़ा है. उन्होंने कहा, ‘‘गुरुदेव ने भारत की कल्पना ज्ञान के प्रमुख स्रोत के तौर पर की थी....’’ उन्होंने कहा कि विश्व भारती की स्थापना इसी सिद्धांत के आधार पर की गई थी. यह भी पढ़ें : वायुसेना की ‘कारगिल कूरियर’ ने इस बार सर्दियों में 3000 से अधिक यात्रियों को ‘एयरलिफ्ट’ किया
मुर्मू ने यह भी कहा कि भारत और पड़ोसी देश बांग्लादेश के दो राष्ट्रगान क्रमशः ‘जन गण मन’ और ‘आमार शोनार बांग्ला’ टैगोर द्वारा रचित हैं.राष्ट्रपति ने एक दिन पहले कोलकाता में टैगोर के पैतृक स्थान जोरासांको ठाकुरबारी के अपने दौरे को भी याद किया और कहा कि यह "तीर्थयात्रा" से कम नहीं है. राज्यपाल सी वी आनंद बोस और कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने भी वर्ष 2022 के दीक्षांत समारोह में डिग्री लेने आए छात्रों को संबोधित किया.