देश की खबरें | गुजरात: खेड़ा के पुलिस अधीक्षक और निरीक्षक ने सरेआम पिटाई करने का बचाव किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. पुलिस ने पिछले साल खेड़ा जिले में पथराव की एक घटना के बाद एक अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों की सरेआम पिटाई करने के अपने कदम का बचाव करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय में कहा कि शांति कायम रखने के लिए इन्हें ‘काबू’ किया गया था और यह किसी आपराधिक इरादे से नहीं किया गया था।

अहमदाबाद,22 फरवरी पुलिस ने पिछले साल खेड़ा जिले में पथराव की एक घटना के बाद एक अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों की सरेआम पिटाई करने के अपने कदम का बचाव करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय में कहा कि शांति कायम रखने के लिए इन्हें ‘काबू’ किया गया था और यह किसी आपराधिक इरादे से नहीं किया गया था।

अंतरिम पुलिस रिपोर्ट में, घटना के सिलसिले में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की बात कहे जाने के बाद अदालत में यह दलील दी गई।

खेड़ा के पुलिस अधीक्षक आर एच गढ़िया और स्थानीय अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक ए वी परमार ने घटना के सिलसिले में मंगलवार को न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया तथा न्यायमूर्ति नीरल मेहता की पीठ के समक्ष अलग-अगल हलफनामे दाखिल किये।

ये हलफनामे, पिछले साल एक कार्यक्रम के दौरान पथराव की घटना के कुछ मुस्लिम आरोपियों की सरेआम पिटाई किये जाने के सिलसिले में एक अवमानना मामले में दाखिल किये गये हैं।

अक्टूबर 2022 में नवरात्र के दौरान, खेड़ा जिले के उंधेला गांव में गरबा नृत्य कार्यक्रम में किये गये पथराव में कुछ ग्रामीण और पुलिसकर्मी घायल हो गये थे। इस घटना को अंजाम देने वाली भीड़ में कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के सदस्य शामिल थे।

इस घटना के सिलसिले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। सोशल मीडिया पर सामने आये वीडियो में कथित तौर पर पुलिसकर्मियों द्वारा इनमें से तीन आरोपियों की सरेआम पिटाई करते देखा जा सकता था।

बाद में, कुछ आरोपियों ने उच्च न्यायालय का रुख कर दावा किया कि इस कृत्य में शामिल पुलिसकर्मियों ने उच्चतम न्यायालय के उन निर्देशों का उल्लंघन कर न्यायालय की अवमानना की है, जो हिरासत में लिये गये लोगों पर डी. के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में दिया गया था।

अपने हलफनामे में गढ़िया ने कहा कि जब जांच के सिलसिले में आरोपियों को उंधेला गांव ले जाया गया, तब वहां उन्होंने बदसलूकी करने की कोशिश की और पुलिस अधिकारियों को अपशब्द कहे थे।

पुलिस अधीक्षक ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘जब आठ आरोपियों को जांच के तहत चार अक्टूबर को गांव में ले जाया गया, एक पुरुष आरोपी ने पुलिस वाहन से उतरने के बाद पुलिस अधिकारियों को अपशब्द कहना शुरू कर दिया। इसके अलावा, शहजादमिया शुकतमिया नाम के एक आरोपी ने पुलिस निरीक्षक अशोक परमार पर थूक दिया।’’

उन्होंने कहा कि अन्य आरोपियों ने अपने हाथों में पत्थर उठा लिये और वहां एकत्र हिंदू समुदाय के लोगों को उकसाना शुरू कर दिया। आरोपियों ने पुलिस वाहन में बैठने के आदेश की अनदेखी की और पुलिस के साथ हाथापाई करने लगे।

कथित तौर पर सरेआम पिटाई किये जाने की घटना के बारे में पुलिस अधीक्षक ने कहा कि यह केवल शांति एवं सौहार्द्र बनाये रखने के उद्देश्य से किया गया था तथा संदिग्धों को काबू में किया गया गया था ताकि कोई और अप्रिय घटना नहीं हो।

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के 150 से अधिक लोगों ने माताजी चौक की घेराबंदी की थी और पथराव किया था। इस घटना में आठ स्थानीय लोग और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गये थे।

अपने हलफनामे में पुलिस निरीक्षक ए वी परमार ने दावा किया कि जिन पुलिस अधिकारियों पर सवाल उठाये जा रहे हैं, उन्होंने अपने शक्तियों के दायरे में रहते हुए कार्रवाई की थी।

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