कहीं और जाओ लेकिन पत्नी और बच्चों को तंग मत करो: मद्रास उच्च न्यायालय
मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा कि अगर पति के दुर्व्यवहार से घर की शांति भंग होती है तो उसे घर से निकाल कर परिवार को व्यावहारिक तौर पर सुरक्षा देने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए.
चेन्नई, 17 अगस्त : मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने अपने एक आदेश में कहा कि अगर पति के दुर्व्यवहार से घर की शांति भंग होती है तो उसे घर से निकाल कर परिवार को व्यावहारिक तौर पर सुरक्षा देने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि जब एक दंपति एक छत के नीचे रहता है तो एक व्यक्ति का दूसरे के प्रति व्यवहार यह परिभाषित करने में हमेशा अहम होता है कि परिवार को दूसरों से कितना सम्मान मिलेगा. न्यायमूर्ति आर एन मंजुला ने एक मामले में कारोबारी पति को अपनी पत्नी तथा दो बच्चों को छोड़ने तथा कहीं और जाकर रहने का निर्देश दिया. उसकी पत्नी पेशे से वकील है. पत्नी ने बताया कि उसने तलाक के लिए शहर की एक पारिवारिक अदालत में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई होने के दौरान ही उसने तलाक की याचिका का निस्तारण होने तक अपने बच्चों के हित के लिए पति को घर से निकलने का निर्देश देने का अनुरोध करने संबंधी एक और याचिका दायर की थी.
पारिवारिक अदालत ने उसकी याचिका आंशिक रूप से मंजूर करते हुए पति को निर्देश दिया कि वह मुख्य याचिका का निपटारा होने तक उस घर की शांति को किसी भी तरीके से भंग न करें, जहां उसकी पत्नी तथा बच्चे रहते हैं. इससे असंतुष्ट पत्नी ने पुनर्विचार याचिका दायर की. न्यायमूर्ति मंजुला ने याचिका मंजूर करते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता और उसके पति के बीच वैवाहिक संबंध ठीक नहीं हैं तो परिवार जंग का एक मैदान बन गया है. पत्नी का कहना है कि उसका पति उद्दण्ड है तथा उसका व्यवहार खराब है जबकि पति का दावा है कि वह बहुत अच्छा पिता है और उसकी पत्नी वकील होने के कारण उसे अदालत तक घसीट लायी है. यह भी पढ़ें : अन्नाद्रमुक के नेतृत्व का मामला: अदालत से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया
अदालत ने कहा कि पति का कहना है कि उसकी पत्नी घर पर नहीं रहती और अक्सर बाहर रहती है. उसका दावा है कि एक आदर्श मां वह महिला होती है जो हमेशा घर पर रहती है और केवल घर का कामकाज करती है. न्यायमूर्ति मंजुला ने कहा कि दंपति के 10 और छह साल के दो बच्चे हैं, पति का बुरा बर्ताव बच्चों की परवरिश में दिक्कत बनेगा. जब तक उनका व्यवहार परिवार की शांति को भंग नहीं करता है तो उनके एक ही घर में रहने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इस मामले में हालात बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा अगर एक पक्ष का बर्ताव आक्रामक है और वह आए दिन बखेड़ा खड़ा करता है तो पत्नी तथा बच्चों को लगातार डर और असुरक्षा के माहौल में रहने को विवश नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही अदालत ने पति को घर से निकलने का निर्देश दिया.