देश की खबरें | गाजियाबाद पुलिस ट्विटर इंडिया की भूमिका की जांच करने को लेकर उत्सुक नहीं: अदालत

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि गाजियाबाद पुलिस एक व्यक्ति द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किये गए उस विवादास्पद वायरल वीडियो मामले की जांच करने को लेकर उत्सुक नहीं है, जिसमें ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी की भूमिका की जांच शामिल है। उक्त वीडियो में दावा किया गया था कि एक बुजुर्ग व्यक्ति की दाढ़ी काट दी गई थी और उसे 'जय श्री राम' और 'वंदे मातरम' बोलने के लिए मजबूर किया गया था।

बेंगलुरु, छह जुलाई कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि गाजियाबाद पुलिस एक व्यक्ति द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किये गए उस विवादास्पद वायरल वीडियो मामले की जांच करने को लेकर उत्सुक नहीं है, जिसमें ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी की भूमिका की जांच शामिल है। उक्त वीडियो में दावा किया गया था कि एक बुजुर्ग व्यक्ति की दाढ़ी काट दी गई थी और उसे 'जय श्री राम' और 'वंदे मातरम' बोलने के लिए मजबूर किया गया था।

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने कहा, ‘‘यह जांच का विषय है, इसलिए मैं पूछ रहा हूं कि आपने जांच क्यों नहीं की। पूरी समस्या यह है कि आप जांच नहीं करना चाहते।’’

अदालत ने प्रतिवादी गाजियाबाद पुलिस से सवाल करते हुए पूछा, ‘‘आप मेरे सवाल का बिल्कुल भी जवाब नहीं दे रहे हैं- आप किस आधार पर कह रहे हैं कि ट्विटर इंडिया जिम्मेदार है?’’

ट्विटर इंडिया और ट्विटर इंक के दो स्वतंत्र निकाय होने पर गौर करते हुए अदालत ने पूछा कि क्या ट्विटर इंडिया मध्यस्थ भी है। अदालत ने प्रतिवादी से पूछा, ‘‘शिकायतकर्ता बहुत स्पष्ट है कि वे दो स्वतंत्र निकाय हैं। तो जांच कहां है?’’

गाजियाबाद पुलिस से ट्विटर इंडिया और ट्विटर इंक के स्वतंत्र निकाय होने के आधार पर उन्हें एक साथ नहीं मिलाने के लिए कहते हुए अदालत ने यह जानना चाहा कि क्या पुलिस रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के पास गई है।

अदालत ने कहा, ‘‘क्या उन्हें नियमों के अनुपालन की पुष्टि करने की आवश्यकता है? वह सामग्री कहां है? जब तक वे मध्यस्थ नहीं हैं ... आपके द्वारा कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि वे मध्यस्थ भी हैं।’’

पीठ ने प्रतिवादी से कहा कि उन्हें आरओसी से कंपनी की गतिविधियों के बारे में एक दिन के भीतर जानकारी मिल सकती थी ताकि माहेश्वरी के बयान की सत्यता और पुष्टि की जा सके कि ट्विटर इंडिया एक अलग इकाई है।

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि वह (माहेश्वरी) अवज्ञा कर रहे हैं। वह बहुत विशिष्ट, स्पष्ट हैं। उनका कहना है कि वीडियो अपलोड करने पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है। कम से कम इस अदालत के समक्ष, उन्होंने सामग्री रखी है।’’

माहेश्वरी की ओर से अधिवक्ता सी वी नागेश ने जोर देकर कहा कि ट्विटर एक मध्यस्थ भी नहीं है क्योंकि आरोप ट्विटर इंडिया के खिलाफ हैं, ट्विटर इंक (अमेरिका) के खिलाफ नहीं।

अदालत ने तब प्रतिवादी से पूछा, आप कहां जा रहे हैं? (आप मामले को कहां ले जा रहे हैं?)’’नागेश ने आरोप लगाया, ‘‘यह डराने वाली रणनीति के अलावा और कुछ नहीं है, बस कुछ और लक्ष्य हासिल करना है, जो वे अन्यथा नहीं कर सकते।’’ मामले की अगली सुनवायी बुधवार को तय की गई।

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