जरुरी जानकारी | तीसरी तिमाही में सकारात्मक हो जायेगी जीडीपी की वृद्धि दर: एनसीएईआर
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सकारात्मक हो जाएगी। एनसीएईआर ने तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की मामूली वृद्धि का अनुमान लगाया है।
नयी दिल्ली, 21 दिसंबर आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सकारात्मक हो जाएगी। एनसीएईआर ने तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की मामूली वृद्धि का अनुमान लगाया है।
कोरोना वायरस की मार से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी। वहीं दूसरी -जुलाई-सितंबर- तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 7.5 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई।
एनसीएईआर ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी मध्यावधि समीक्षा में चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में अर्थव्यवस्था में दो प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। एनसीएईआर ने कहा कि पूरे वित्त 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
एनसीएईआर ने कहा कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है। यह काफी हैरान करने वाला है। ‘‘उसी के अनुरूप में हमने अर्थव्यवस्था में सालाना आधार पर गिरावट के अनुमान को कम कर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।’’
इससे पहले एनसीएईआर ने पूरे वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 12.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था।
आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि मौजूदा सुधार के बावजूद 2020-21 में बड़ी गिरावट का दीर्घावधि प्रभाव रहेगा। अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी से पूर्व के स्तर पर पहुंचने के लिए पूर्व की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करनी होगी।
एनसीएईआर ने कहा, ‘‘सिर्फ परंपरागत वृहद आर्थिक नीतियों से इस मोर्चे पर मदद नहीं मिलेगी। इसके लिए गहरे और व्यापक सुधारों की जरूरत होगी। विशेषरूप से वित्तीय, बिजली और विदेश व्यापार क्षेत्र में ऐसे सुधार करने होंगे।
एनसीएईआर ने कहा कि इसके अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा और श्रम क्षेत्रों में भी तत्काल अतिरिक्त सुधारों की जरूरत है, लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहकारिता के संघवाद के सिद्धान्त के अनुरूप नजदीकी सहयोग की जरूरत होगी।
अजय
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