जरुरी जानकारी | बोलीविया में सबसे दुर्लभ वस्तुओं में से एक बनता जा रहा है ईंधन
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. दक्षिण अमेरिका में प्राकृतिक गैस के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक बोलिविया में पेट्रोल पंपों के बाहर कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। कुछ वाहन तो कई दिनों तक कतारों में खड़े नजर आते हैं।
दक्षिण अमेरिका में प्राकृतिक गैस के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक बोलिविया में पेट्रोल पंपों के बाहर कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। कुछ वाहन तो कई दिनों तक कतारों में खड़े नजर आते हैं।
लोगों के बीच निराशा बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि विक्टर गार्सिया जैसे चालक अब अपने कतारों में खड़े ट्रकों के आसपास ही खाते-पीते तथा सोते हैं।
गार्सिया (66) ने कहा, ‘‘ हमें नहीं पता कि क्या होगा? यकीनन हमारी स्थिति और भी खराब होने वाली है,।’’
अन्य चालक रामिरो मोरालेस (38) ने कहा, ‘‘ कतारें लगातार लंबी होती जा रही हैं।’’
उन्होंने बताया कि मंगलवार को चार घंटे कतार में खड़े रहने के बाद उन्हें शौचालय जाना था लेकिन उन्हें डर था कि कतार से हटने पर उनको अपनी जगह खोनी पड़ सकती है।
मोरालेस ने कहा, ‘‘ लोग अब थक चुके हैं।’’
बोलीविया में ईंधन की कमी की समस्या ऐसे समय में उत्पन्न हुई है जब देश का विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है। इस कारण बोलीविया के लोगों को अमेरिकी डॉलर नहीं मिल पा रहे हैं। आयातित सामान जो कभी आम थे, अब दुर्लभ हो गए हैं।
सांता क्रूज के पूर्वी प्रांत में गेब्रियल रेने मोरेनो स्वायत्त विश्वविद्यालय के ‘वाइस-रेक्टर’ रीनेरियो वर्गास ने कहा, ‘‘ हम ईंधन, डॉलर की कमी और खाद्य कीमतों में वृद्धि से निपटने के लिए प्रभावी समाधान चाहते हैं।’’
इन तमाम परेशानियों का सामना कर रहे आम नागरिकों ने राजधानी ला पाज़ में पिछले सप्ताह सड़कों पर मार्च किया और ‘‘सब कुछ महंगा है’’ के नारे लगाए।
इस बीच अर्थव्यवस्था मंत्री मार्सेलो मोंटेनेग्रो ने मंगलवार को कहा, ‘‘डीजल की बिक्री सामान्य होने की प्रक्रिया में है।’’
बोलीविया के राष्ट्रपति लुइस आर्से ने भी बार-बार ईंधन की कमी को खत्म करने के लिए बुनियादी वस्तुओं की कीमतें कम करने का आश्वासन दिया है।
हालांकि बोलीविया के लोगों का कहना है कि आर्से की छवि केवल मौजूदा संकट के कारण खराब नहीं हुई बल्कि सरकार द्वारा संकट को स्वीकार न करने की वजह से अधिक खराब हुई है।
आर्से ने 10 नवंबर को भी एक बार फिर देशवासियों से वादा किया था कि वह 10 दिन में ‘‘इस मुद्दे को हल करेंगे।’’
बार-बार ऐसी समय-सीमाएं आती-जाती रहती हैं, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया है। हालात पहले से अधिक खराब ही हुए हैं।
आर्से के कार्यालय से साक्षात्कार का अनुरोध किया गया, लेकिन उनकी ओर से अभी तक कोई जबाव नहीं मिला है।
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