जरुरी जानकारी | एफएसडीसी की बैठक में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने के उपायों पर हुई चर्चा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) की बैठक में मंगलवार को आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया।

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) की बैठक में मंगलवार को आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि सरकार अगले बजट में ऐसे कौन से उपाय करे जिनसें वृद्धि की रफ्तार को बढ़ाया जा सके।

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वर्चुअल तरीके से हुई इस बैठक में वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार और सभी नियामकों को वित्तीय स्थितियों पर निगाह रखने की जरूरत है, जो मध्यम से दीर्घावधि में वित्तीय कमजोरी का कारण बन सकती हैं।

एफएसडीसी की 23वीं बैठक में इस बात का जिक्र किया गया है कि सरकार और वित्तीय क्षेत्र के नियामकों द्वारा जो नीतिगत उपाय किए गए हैं उनसे आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ी है। यही वजह है कि 2020-21 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट काफी कम रही है।

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एक बयान में कहा गया है कि बैठक में रिजर्व बैंक और अन्य नियामकों द्वारा दिए गए बजट प्रस्तावों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट अगले वित्त वर्ष के लिए वृद्धि की रणनीति की रूपरेखा तय करेगा। विभिन्न अनुमानों के अनुसार अगले वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

कोविड-19 महामारी के प्रभाव से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि, दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है, ‘‘अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है और अब यह उम्मीद से अधिक तेजी से सुधार की राह पर है।’’ बैठक में विभिन्न वित्तीय क्षेत्र के नियामक शामिल हुए।

बयान में कहा गया है कि बैठक में वित्तीय क्षेत्र को लगातार समर्थन के उपायों पर भी चर्चा हुई, जिससे अधिक तेज वास्तविक आर्थिक वृद्धि हासिल की जा सके और कुल वृहद आर्थिक लक्ष्यों को पाया जा सके।

परिषद ने लंदन इंटरबैंक ऑफर रेट (लिबोर) आधारित अनुबंधों की ओर सुगमता से स्थानांतरण की चुनौतियों पर भी चर्चा हुई।

बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली एफएसडीसी उपसमिति द्वारा की गई पहल और अन्य विभिन्न नियामकों द्वारा उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की गई।

एफएसडीसी वित्तीय क्षेत्र के विभिन्न नियामकों का शीर्ष निकाय है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर के अलावा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंटिया, भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता सहिंता बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरमैन एम एस साहू, पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन सुप्रतिम बंदोपाध्याय और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के चेयरमैन इंजेती श्रीनिवास इस बैठक में मौजूद थे।

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